केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को बदलकर उम्रकैद कर दिया है। बलवंत सिंह को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। पिछले महीने केंद्र ने गुरु नानक देवजी के 550वें प्रकाशोत्सव के मौके पर 9 सिख कैदियों को सजा में छूट देने का फैसला किया था। इनमें बलवंत सिंह का नाम भी शामिल था। गृह मंत्रालय ने पंजाब और चंडीगढ़ प्रशासन को इस फैसले की जानकारी दी है।
चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के बाहर 31 अगस्त, 1995 को मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी। आतंकियों ने उनकी कार को बम से उड़ा दिया था। इस घटना में 16 अन्य लोगों की भी जान गई थी। पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने आत्मघाती हमलावर की भूमिका निभाई थी। राजोआना ने हत्याकांड की साजिश रची थी। इसके बाद 2007 में चंडीगढ़ की विशेष अदालत ने राजोआना को फांसी की सजा सजा सुनाई थी।
कानूनी उलझनों में फंसता रहा फांसी का मामला
राजोआना की फांसी का मामला कई कानूनी उलझनों में फंसता रहा है। उसे 31 मार्च, 2012 को फांसी देने की तारीख तय की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। सीबीआई ने इसका विरोध किया था। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भी कहा था कि राज्य सरकार राजोआना को फांसी देने के हक में नहीं है।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने राजोआना की सजा माफ करने के लिए राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी थी। उसकी मुंहबोली बहन कमलजीत कौर ने एक पत्र सार्वजनिक किया था, जिसमें राजोआना ने कहा था कि उसे सरकार की हमदर्दी नहीं चाहिए। उसने अपने गुनाह के लिए जो सजा मांगी है, उसे उसी दिन तय तारीख और समय पर दी जाए।