नई दिल्ली

दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई 12 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है। हाईकोर्ट ने केंद्र, दिल्ली पुलिस और अन्य पक्षों को 12 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट कई नेताओं के खिलाफ कथित भड़काऊ बयान देने के लिए एफआईआर दर्ज करने की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस सी. हरिशंकर की बैंच ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे और नेताओं के कथित तौर पर घृणा फैलाने वाले भाषणों पर एफआईआर दर्ज करने और गिरफ्तारियों की मांग करने वाली जनहित याचिका को 12 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया।

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों से 11 मार्च तक सभी अज्ञात शवों का निपटान नहीं करने और सभी के डीएनए सैंपल भी सुरक्षित रखने को कहा है। कोर्ट ने शवों के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराने का भी निर्देश दिया है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में उत्तर-दिल्ली में हुई हिंसा के संबंध में गिरफ्तार लोगों के नाम प्रकाशित करने की माकपा नेता बृंदा करात की जनहित याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली सरकार और पुलिस से जवाब मांगा है।

चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस सी. हरिशंकर की बैंच ने करात की याचिका पर दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया है। याचिका में अपील की गई है कि गिरफ्तार व्यक्तियों की एक सूची जिले के पुलिस नियंत्रण कक्ष और पुलिस स्टेशनों के बाहर लगाई जाए।

याचिका में कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह हिंसा में दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम और नंबरों वाली स्थिति रिपोर्ट भी मांगे।  दिल्ली हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक लोग घायल हैं।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर अब तक 53 हो गई है। गुरु तेग बहादुर अस्पताल में गुरुवार को मौत के छह और मामले आने के बाद यह संख्या बढ़कर 44 हो गई। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पांच, एलएनजेपी अस्पताल में तीन, और जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में एक मौत हुई है। इनमें दिल्ली पुलिस के हेडकांस्टेबल रतनलाल और आईबी ऑफिसर अंकित शर्मा भी शामिल हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here