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नववर्ष में निरपेक्ष भाव से हर किसी से प्रेम करते जायें – निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

बठिंडा, धीरज गर्ग

निरंकार को साक्षी मानते हुए सभी के प्रति पे्रम का भाव अपनाये। ‘प्रेम‘ केवल शब्दों तक ही सीमित न रहे, उसे अपने जीवन एवं व्यवहार में शामिल करें। यदि हमें प्रेम और सम्मान के विपरीत प्रेम एवं सम्मान नहीं मिल रहा है, तब भी हमें अपने हृदय को ओर अधिक विशाल बनाकर सबके प्रति प्रेम का भाव ही अपनाना है।“ यह उद्गार निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा नववर्ष के संदेश रूप में वर्चुअल माध्यम द्वारा विशेष सत्संग समारोह में व्यक्त किए गये। इस कार्यक्रम का लाभ संत निरंकारी मिशन की वेबसाईट के माध्यम से विश्वभर के लाखों भक्तों और प्रभु प्रेमियों द्वारा प्राप्त किया गया।

सत्गुरु माता जी ने कहा कि हमें प्रति पल निरंकार प्रभु को हृदय में बसाते हुए अपने हृदय को इतना अधिक पवित्र बनाना है कि उससे केवल प्रेम ही उत्पन्न हो और वैर, ईष्र्या, निंदा, द्वेष का कोई स्थान ही न रहे।

सत्गुरू माता जी ने कहा कि यदि बीते दो वर्षों की परिस्थिति को देखें तो कोरोना के कारण बहुत से लोगों के उद्योग एवं व्यवसाय प्रभावित हुए हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्यक्ष रूप में सत्संग होने भी बंद हुए। किन्तु ज्ञान की प्राप्ति के उपरान्त प्रत्येक ब्रह्मज्ञानी संत इस बात से भली भांति परिचित हैं कि उसके लिए प्रत्येक दिन, महीने और साल भक्तिमय होते हैं। उसके जीवन में फिर किसी साल को बदलने की या फिर किसी विशेष दिन की कोई महत्ता शेष नहीं रह जाती और परमात्मा के एहसास में जीवन जीते हुए वह आनंद की अवस्था को प्राप्त करता है। सत्गुरु माता जी ने निरंकारी भक्तों से आह्वान किया कि वह निरंकार प्रभु का आसरा लेते हुए हृदय में परोपकार का भाव अपनायें और मर्यादापूर्वक जीवन जीते हुए समस्त मानव जाति को प्रेम बाँटते चले जायें।इसके अतिरिक्त वंदनीय सत्गुरु माता जी ने नव वर्ष में उपहार स्वरूप दो समागमों की सूची दिलवाकर सभी भक्तजनों को खुशी प्रदान करी, जिसमें भक्ति पर्व एवं 55वें महाराष्ट्र समागम की तिथियों की उद्घोषणा करी गई।

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