धीरज गर्ग /नीरज मंगला चंडीगढ़
पंजाब में इस साल पराली जलाने के मामले पिछले साल की तुलना में 18 हजार अधिक हैं। राज्य में 15 नवंबर तक पराली जलाने के 73988 मामले सामने आ चुके हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 55210 था। वहीं, साल 2018 में 50590 और 2017 में इस वक्त क 45384 मामले की सामने आए थे।
हालांकि, पीपीसीबी (पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के अधिकारी ज्यादा मामले सामने आने के पीछे कूड़ा-कर्कट और आग लगने की अन्य घटनाओं को कारण बता रहे हैं। पराली जलाने के सबसे अधिक 9645 मामले संगरूर जिले में सामने आए हैं। बठिंडा जिले में 7495 और फिरोजपुर में 6732 जगह पराली जलाई गई है। मोगा में 5707 और मुख्यमंत्री के जिले में 5263 केस पराली जलाने के सामने आ चुके हैं।
पिछले सालों की अपेक्षा इस बार अधिक पराली जलाने का सीधा असर एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) पर भी पड़ रहा है। कई शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था। बारिश के बाद एक्यूआइ का स्तर सामान्य हुआ है। जालंधर का एक्यूआइ संतोषजनक श्रेणी तक पहुंच गया था। बठिंडा सहित अन्य शहरों की हवा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।
शहरों का एक्यूआइ
शहर | 17 नवंबर | 16 नवंबर | अंतर |
अमृतसर | 79 | 86 | 7 |
बठिंडा | 48 | 62 | 14 |
जालंधर | 162 | 83 | 79 |
लुधियाना | 68 | 45 | 23 |
पटियाला | 72 | 66 | 6 |
पराली जलाने के मामले