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सडक़ों पर दुर्घटनाओं का कारण बन रहे बेसहारा पशुओं को हटाने और घटनाओं को रोकने के लिए बरनाला पुलिस ने संभाली कमान।

गौशाला समितियों के प्रतिनिधियों ने सरकारी तंत्र को बनाया निशाना, पूछा कहा कहाँ जा रहा है काओ-सेस और शहरों के अंदर कहां से दाखिल हो रहा बेसहारा गऊवंश।

नीरज मंगला, बरनाला।

गऊवंश को केटल पाउंडों और गौशालाओं में भेजने, सडक़ों व बाजारों में घूमते बेसहारा पशुओं के सींग और पूंछ पर रिफलेक्टर लगाने, उनके गलों में रिफलेक्टर युक्त पट्टे डालने से लेकर जिला के पुलिस प्रशासन गंभीर हुआ है। जिसको लेकर पुलिस ने पशु मेले लगाने वाले अधिकारियों व ठेकेदारों को मंडियों में पहुंचने वाले पशुओं की संख्या करने के लिए कहा जाएगा। इसके अलावा पंचायतों और पशु मंडियों के प्रबंधकों को पशुआं के जन्म -मौत का रजिस्टर शुरू करने को कहा जाएगा। ग्रामीणों की ओर से तैनात किये जा रहे खेत-रक्षकों का बायोडाटा एकत्रित किया जाएगा। आपातकाल स्थिती में संपर्क करने के लिए सडक़ों पर जगह-जगह पर हेल्पलाइन नंबर लिखे बोर्ड लगाऐ जाएंगे। जिससे कीमती जानें बचाई जा सकेगी। उल्लेखनीय है कि लोगों को बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए बरनाला पुलिस ने कमान संभाली है। इस लक्ष्य की आपूर्ति के लिए जिला पुलिस मुखी संदीप गोयल के दिशा-निर्देश पर एसपी. (एच) मैडम हरबंत कौर और एसपी. (डी) सुखदेव सिंह विर्क द्वारा जिलाभर की गौशाला समितियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई। इस मौके पर नगर परिषद बरनाला के कार्यकारी अधिकारी मनप्रीत सिंह सिद्धू भी उपस्थित थे।

संबन्धित विभागों पर आरोपों की लगी झड़ी:-

* अनाजमंडी गौशाला के प्रधान अनिल बांसल नाणा ने सडक़ों पर घूमते बेसहारा जानवरों व पशुओं के लिए डेयरी फार्म विभाग, पशु-पालन विभाग और नगर परिषदों/ पंचायतों/निगमों के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों खेतों की संभाल के लिए खेत रक्षक तैनात कर रखे हैं, जो अपने ही पशुधन को अपने खेतों में से निकाल सडक़ों पर बेसहारा धकेल देते हैं। जब चारों तरफ से बेसहारा पशूओं का झुंड इक_ा हो जाता है तो उनके ट्रक भरवाकर बुच्चडख़ाने भेज दिए जाते हैं। गऊसेवकों की तरफ से जोखिम भरे हलातों के बावजूद अब तक सैंकड़ों ट्रक काबू भी किए जा चुके हैं। हालांकि बेसहारा पशुओं को काबू करके गौशालाओं में भेजने के लिए सरकारी तौर पर ठेकेदार भी तैनात किये गए हैं, जिन्हें बाकायदा पैसा भी दिया जाता रहा है। परन्तु स्थिति पहले की अपेक्षा ज्यादा गंभीर हो गई है। नसबंदी कैंपों का आयोजन करने के बारे में सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।

* प्राचीन गौशाला बरनाला के नेता भुपिंदर जिंदल और अमरजीत कालेके ने कहा कि शहरों के अंदर किसी भी घर में गाय नही थी, आज शहरों के अंदर सैंकड़ों बेसहारा पशू घूम रहे हैं। सरकार काओ-सैस के नाम पर 11 किस्म के टैक्स वसूल रही है, जिसका आज तक किसी भी गौशाला व गोधन को लाभ नहीं मिला। आज तक जिला प्रशासन के साथ जितनी भी बैठकें हुई वह सभी गटर में फैंक दी गई। गौशालाओं के अंदर जो भी गऊवंश की संभाल हो रही है वह दान की राशि से ही हो रही है।

* अपाहिज गौ सेवा आश्रम (राम बाग) गौशाला के प्रधान मोती लाल ने कहा कि गऊवंश की सेवा किस तरह हो रही है और सडक़ों पर बेसहारा पशुओं के कारण कितनी ही कीमती जिंदगीयां जा चुकीं हैं, उस बारे में किसी भी सरकार ने कदम नहीं उठाया।

* भदौड़ गौशाला के प्रबंधक विजय कुमार ने कहा कि जिला के अंदर जितने भी बेसहारा गऊवंश हैं उनमें से सांढों को सरकारी कैटल पाउंड मनाल में भेजा जाये और बेसहारा गऊओं को समाजसेवी संस्थायों के सहयोग से स्थापित गऊशालाओं में भेज दी जाएं।

* निराले बाबा गौधाम भदौड़ के प्रधान रघुनाथ जैन ने कहा कि मर रहे बेसहारा गौवंश को उठाने के लिए नगर परिषदों व पंचायतों की तरफ से कोई प्रबंध नही किया जा रहा और ना ही पशुआं को दफनाने के लिए कोई जगह निश्चित की गई है।

एक बार जिला हुआ था बेसहारा पशुओं से मुक्त
गौरतलब हो कि करीब तीन साल पहले जिला के अंदर तैनात हुए डिप्टी कमिश्नर घणश्याम थोरी के पास बेसहारा पशुओं के कारण पीडि़त हुए लोगों तथा गौशाला समितियों की ओर से बेसहारा पशुओं की बढ़ी संख्या को लेकर शिकायत पहुंची थी। जिन्होंने संबंधित विभागों को सख्ती से आदेश जारी कर कुछ ही दिनों में सैंकड़ों बेसहारा पशुओं को केटल पाऊंड और गौशालाओं भेज दिया था। जैसे ही उनकी दूसरे जिला के अंदर ट्रांसफर हो गई, उसके बाद जिला की स्थिति पहले से भी ज्यादा बदतर होती चली गई।

सख्ती से बिना हल संभव नहीं: एसएसपी
जिला पुलिस प्रमुख संदीप गोयल पीपीएस ने कहा है कि सख्ती से बिना कोई हल नहीं होगा। जल्दि ही डिप्टी कमिश्नर साहब की अध्यक्षता में नगर परिषद/पंचायतों, पशु पालन विभाग, डेरी विकास अधिकारियों, पशु मंडी ठेकेदारों और संबन्धित अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी। जिसका मकसद कीमती जानें बचाना, बेसहारा पशुओं के कारण होती सडक़ दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाना होगा।

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