भीखी
पंजाब सरकार द्वारा घर घर रोजगार देने के लगाए गए रोजगार मेले में जहां बच्चे घटिया प्रबंधों की भेंट चढ़ते नजर आए, वहीं कम उम्र के 10वीं, 12वीं में पढ़ते बच्चे भी बुलाकर उनका शोषण किया गया। कल वीरवार को लगे रोजगार मेले में अंत की गर्मी में बच्चे बेहाल नजर आए, वहीं आई कंपनियों द्वारा भी कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे लग रहा था कि बच्चों की गिनती पढ़ाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा अपने अधिकारियों के आदेश थोपे गए हो। नौकरी की चाहत को लेकर आए सुखदीप सिंह का कहना है कि वह सुबह से ही रोजगार लेने के लिए धक्के खा रहा है, उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसा ही हाल और बहुत सारे नौजवानों का था, चाहे कई कंपनियां बच्चों को रोजगार देने के लिए प्लेसमेंट के लिए आई थी, नौजवानों को गुमराह किया गया। नौजवानों को विभिन्न कंपनियों द्वारा 8000 से 12000 तक रोजगार देने का वादा किया था, परंतु प्लेसमेंट होने के बाद उनको उनकी योगता बता
वर्क वेतन देने की बात कही जाती थी और उनको मोहाली, गुडग़ांव या और दूरदराज शहरों में नौकरी करने के लिए कहा जाता था, दूसरी ओर 18 साल से कम उम्र के बच्चों को भी इस प्लेसमेंट के लिए बुलाया गया था। जबकि 18 साल से कम उम्र के बच्चे नौकरी के लिए योग ही नहीं थे। बच्चों के साथ आए अध्यापकों के साथ जब इस संबंधी बात की तो उन्होंने कहा कि जिला अधिकारियों के हुक्म के साथ यहां बच्चे लेकर आए हैं। जब उनको इस संबंधी पूछा गया कि वह नौकरी की उम्र और योग्यता पूरी नहीं करते तो उन्होंने कहा कि जिला अधिकारियों के आदेशों पर बच्चों को रोजगार मेले में लेकर आए जबकि जिले के सरदूलगढ़ हलके के गांव से आए हैं। बच्चों के बैठने के लिए उचित प्रबंध भी नहीं थे और बच्चों ने धरती पर बैठकर जा अंत की गर्मी में इधर-उधर टाइम पास किया। जब इस संबंधी डिप्टी कमीश्नर मानसा अपनीत रिर्यात से बात की तो उन्होंने कहा कि बच्चों को इसलिए बुलाया था कि आने वाले समय में उनको नौकरी हासिल करने में कोई दिक्कत ना आए और वह अभी से ही इस काम के लिए तैयार हो जाए।