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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दी 6 राज्यों के 14 थर्मल प्लांट बंद करने की चेतावनी

नई दिल्ली

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)ने ने छह राज्यों के 14 कोयला-आधारित थर्मल पावर प्लांट्स को बंद करने की चेतावनी दी है। बोर्ड ने इन प्लांट्स को 31 दिसंबर 2019 तक सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने का समय दिया था, जिसमें यह नाकाम रहे। बोर्ड ने अब इन प्लांट्स को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है कि क्यों न इन्हें बंद कर दिया जाए और उत्सर्जन को कम करने में विफल रहने पर इन पर जुर्माना ठोका जाए। इनमें हरियाणा के 5, पंजाब 3, उत्तर प्रदेश 2, आंध्र प्रदेश 2, तेलंगाना 2 और तमिलनाडु का 1 प्लांट शामिल है। ऐसे में यदि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्लांट्स को बंद करने में सख्ती से पेश आता है तो दिल्ली और एनसीआर में भारी बिजली संकट खड़ा हो सकता है।

केंद्र सरकार ने देश के 166,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने वाले 440 थर्मल प्लांट्स से पार्टिकुलेट मैटर, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन को सीमित करने के लिए दिसंबर 2022 का समय निर्धारण किया है। जबकि दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में 11 प्लांट्स को 31 दिसंबर, 2019 तक उत्सर्जन को कम करने के लिए निर्देशो का पालन करना था क्योंकि दिल्ली शहर के साथ गंगा के मैदान भी खराब वायु गुणवत्ता के शिकार हो रहे हैं। इस पर थर्मल प्लांट्स के प्रबंधन ने  फ्लू-गैस डिसल्फराइजेशन तकनीक अपनाने को दावा किया था। हालांकि कुछ प्लांट्स के प्रबंधन का कहना था कि अभी उन्हें इस तकनीक को अपनाने के लिए टैंडर करवाने हैं। इनमें से केवल एक ही थर्मल प्लांट वास्तव में उत्सर्जन को सीमित करने के लिए प्रौद्योगिकी को लागू कर पाया है।

थर्मल पावर प्लांट्स को नियमों को दरकिनार करके बिजली उत्पादन करने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में 2017 में एक याचिका दायर की गई थी, जो विचार अभी विचाराधीन है। इसके अलावा इन प्लांट्स को दिए गए विस्तार समय को लेकर उच्चतम न्यायालय में एक मामला चल रहा है। CPCB ने इन 14 प्लांट्स को इस महीने के अंत तक का समय दिया  है और पूछा है कि उन्होंने मानदंडों का अनुपालन क्यों नहीं किया है और कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए? गौरतलब है कि सीपीसीबी के पास पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत कठोर जुर्माना लगाने या पावर प्लांट्स को बंद करने की शक्ति है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के अनुमानों के मुताबिक प्लांट्स से निकलने वाले पार्टिकुलेट मैटर को 35 फीसदी तक घटाया जा सकता है। इसमें नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 70 फीसदी और सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 2026-27 तक 85 फीसदी  कमी लाई जा सकती है।

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