सिरसा
डेरा सच्चा सौदा सिरसा चीफ गुरमीत राम रहीम सिंह को हरियाणा सरकार ने पैरोल दिला ही दी। हालांकि पहले भी कई बार पैरोल के लिए अर्जी लगाई गई, लेकिन मंजूरी नहीं मिल रही थी। अब बीती 24 अक्टूबर को गुप-चुप तरीके से ही आखिर बाबा बाबा जेल से बाहर आया। लगभग दो सप्ताह बाद जैसे ही राम रहीम के जेल से बाहर आने की जानकारी मीडिया के सामने आ गई तो माहौल काफी गर्मा गया। विपक्ष सरकार को घेरने पर लगा है तो सरकार सफाई देते नहीं थक रही। खुद जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने इस पर कहा है कि बाबा को पैरोल नियमों के हिसाब से दी गई है।
बता दें कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पिछले करीब 3 साल से रोहतक जिले के सुनारियां गांव में स्थित रोहतक जिला जेल में बंद है। डेरे की पूर्व साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में वह सजायाफ्ता है। सूत्रों से जानकारी मिली कि राम रहीम को अपनी बीमार मां से मिलने के लिए बीती 24 अक्टूबर को एक दिन की पैरोल दी गई थी। पैरोल गुप-चुप तरीके से दी गई। यहां तक कि सरकार और जेल प्रशासन ने मीडिया तक को भी इसकी भनक नहीं लगने दी गई। पैरोल के बाद गुरमीत राम रहीम सिंह गुड़गांव के एक अस्पताल में भर्ती अपनी मां से मिलकर आया। उस दौरान सुनारियां जेल से गुड़गांव के अस्पताल तब बख्तर बंद गाड़ी में ले जाया और फिर लाया गया। सुरक्षा में पुलिस का बड़ा काफिला भी लगा।
राम रहीम की सुरक्षा में पुलिस की तीन टुकड़ी
राम रहीम 24 अक्टूबर को शाम तक अपनी बीमार मां के साथ रहे थे। सूत्रों ने बताया कि हरियाणा पुलिस की तीन टुकड़ी तैनात थी। एक टुकड़ी में 80 से 100 जवान थे। डेरा चीफ को जेल से पुलिस की एक गाड़ी में लाया गया जिसमें पर्दे लगे हुए थे। गुरुग्राम में पुलिस ने अस्पताल के बेसमेंट में गाड़ी पार्क की और जिस फ्लोर में उसकी मां का इलाज चल रहा था, उसे पूरा खाली करा दिया गया।
क्या कहते हैं रोहतक के एसएपी और जेल मंत्री?
इस मामले की पुष्टि रोहतक एसपी राहुल शर्मा ने की है। उन्होंने बताया कि उन्हें जेल सुपरिंटेंडेंट से राम रहीम के गुड़गांव दौरे के लिए सुरक्षा व्यवस्था का निवेदन मिला था। 24 अक्टूबर को सुबह से लेकर शाम ढलने तक सुरक्षा उपलब्ध कराई थी। सब कुछ शांति से हुआ। दूसरी ओर शनिवार दोपहर इस मामले पर प्रदेश के जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने भी अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि राम रहीम को पैरोल सारे नियम-कायदों को ध्यान में रखते हुए दी गई थी।