नीरज मंगला / अनिल कुमार अमृतसर :
रग-रग में नशा और हाथ में हथियार लेकर चलने वालों की पोल खोलने के लिए पंजाब सरकार द्वारा शुरू की गई डोप टेस्ट की प्रक्रिया विवाद में रही है। अमृतसर के सिविल अस्पताल में डोप टेस्ट को दलालों ने कमाई का जरिया बना लिया है। वीरवार को इस अस्पताल में एक तथाकथित दलाल पहुंचा। इस दौरान डोप टेस्ट करवाने के लिए भारी संख्या में असलहा धारक आए थे। यूरिन सैंपल देकर जब ये लोग बाहर निकल रहे थे तो यह दलाल गिद्ध दृष्टि से इन्हें देखता रहा और फिर एक दो को रोक कर कहा कि आपकी रिपोर्ट पाजिटिव आ सकती है। यदि नेगेटिव रिपोर्ट चाहिए तो मुझे बताओ। मैं बहुत कम पैसे में आपको निगेटिव रिपोर्ट तैयार का दूंगा। इस दलाल को यह मालूम नहीं था कि एक असलहा धारक ने इसकी शिकायत सिविल अस्पताल में कार्यरत सीनियर लैब तकनीशियन राजेश शर्मा से कर दी है। राजेश शर्मा जैसे ही उसके पास पहुंचे, वह तेजी से रफूचक्कर हो गया।
दरअसल, राजेश शर्मा ने डोप टेस्ट करवाने आए लोगों को बता दिया था कि इसकी सरकारी फीस 1500 रुपये है, जबकि दस रुपये की पर्ची भी कटवानी पड़ती है। इसके अतिरिक्त और कोई शुल्क नहीं लगता, न ही कोई बाहरी व्यक्ति टेस्ट रिपोर्ट दे सकता है। वहीं दलाल बाहर खड़ा होकर असलहा धारकों की ताक में था। इस घटना की जानकारी पुलिस को दी जा रही है। राजेश शर्मा ने कहा कि इस प्रकार के लोग भारी भरकम पैसा लेकर जाली रिपोर्ट तैयार करने का काम करते हैं। ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। खास बात यह है कि डोप टेस्ट रिपोर्ट की प्रशासन द्वारा क्रास चेकिग नहीं करवाई जा रही। इधर, अस्पताल प्रशासन अब सीसीटीवी फुटेज खंगालने में जुटा है, ताकि इस शख्स की पहचान की जा सके।
पकड़ा गया था पिछले साल वी एक कर्मचारी :
बीते वर्ष अस्पताल का एक कर्मचारी भी फर्जी रिपोर्ट तैयार करते पकड़ा गया था। पुलिस ने इसके कब्जे से टेस्ट रिपोर्ट की हूबहू कापियां बरामद की थीं। इसके बाद इसे नौकरी से निकाल दिया गया था। वास्तविक स्थिति यह है कि डोप टेस्ट के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। अमृतसर में चालीस हजार असलाह धारक हैं और प्रतिदिन नए आवेदक भी आ रहे हैं। इनका डोप टेस्ट अनिवार्य किया गया है। अफसोसनाक बात यह है कि डोप टेस्ट की प्रक्रिया पारदर्शी न होने की वजह से कुछ जालसाज इसका गलत फायदा उठा रहे हैं। सिविल अस्पताल में डोप टेस्ट की रिपोर्ट सीधे आवेदक को दी जाती है। आवेदक जब देखता है कि वह डोप टेस्ट में पाजिटिव पाया गया है तो वह पुलिस कमिश्नर कार्यालय को रिपोर्ट जमा करवाने की बजाय निगेटिव रिपोर्ट हासिल करने के लिए हाथ पांव मारता है। फिर फर्जी रिपोर्ट बनवाकर जमा करवा देता है। खास बात यह है कि डोप टेस्ट की रिपोर्ट की वैरीफिकेशन तक नहीं की जा रही। ऐसे होनी चाहिए प्रक्रिया
डोप टेस्ट को आनलाइन किया जाना चाहिए। असलहा धारक का यूरिन सैंपल लेने के बाद उसकी रिपोर्ट कंप्यूटर में फीड की आनलाइन ही विभाग को भेजी जाए। इससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश नहीं बचेगी।