बरेता, नरेश कुमार रिम्पी
दही भल्ले, बर्गर, गोलगप्पे, कुल्चा, जूस बार और अन्य खाद्य सामग्री बेचने वाले अपने परिवार को दैनिक आधार पर यह कहते हुए दुखी करते हैं कि वे गरीबों में से नहीं हैं। हमें कोई मदद नहीं दी जाती है। न ही हमारा विवेक इतना मृत है कि हम अपने पड़ोसियों से भोजन की भीख मांग सकते हैं। क्योंकि हम मेहनती लोग हैं। हम हर दिन कमाने और खाने में विश्वास करते हैं। लेकिन कहीं भी प्रशासन द्वारा जारी की गई दुकान खोलने की सूची में हममें से कोई भी अपना व्यवसाय करने का उल्लेख नहीं करता है। भूषण, काकू, सोनू मोनू जुसवाले, हरप्रीत और गांधी कुलचा भाललेवाले ने कहा कि हम भी इस देश के नागरिक हैं और तालाबंदी और भूखे रहकर समय बिताया है। डिवाइस है कि हम हवाई अड्डों और rehariam को खोजने के लिए अनुमति दी जानी। हम सरकार द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।














