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पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, यू.के. के फेलो के रूप में चुना गया

बठिंडा, द अपील न्यूज़ ब्यूरो

पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) के स्वास्थ्य विज्ञान विद्यापीठ के डीन और भेषज विज्ञान एवं प्राकृतिक उत्पाद विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राज कुमार को मेडिसिनल और फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय शोध कार्य किए यू.के. की रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री का अध्येता (फेलो) चुना गया है। 1841 में स्थापित रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (आरएससी), यू.के., रासायनिक विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने के लिए दुनिया की अग्रणी संस्था है, जो अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों को सहकार्यता के साथ नवाचार और गुणवत्तापूर्ण शोध करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु एक मंच के रूप में कार्य करती है। इस संस्था द्वारा हर वर्ष रसायन विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया भर से लगभग 50 नए फेलो चुने जाते हैं जिन्हे फेलो ऑफ़ रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (एफआरएससी) का पद प्राप्त होता है। इस अवसर पर कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने सीयूपीबी समुदाय की ओर से प्रो. राज कुमार को विश्वविद्यालय को गौरवान्वित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने उल्लेख किया कि एफआरएससी का प्रतिष्ठित सम्मान केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चयनित वैज्ञानिकों को प्राप्त होता है, और प्रोफेसर राज कुमार को इस सम्मान की प्राप्ति रसायन विज्ञान के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान की मान्यता प्रदान करती है।

डॉ. राज कुमार ने अपनी पीएचडी (औषधीय रसायन विज्ञान) 2007 में एनआईपीईआर, मोहाली से की। इसके बाद, उन्होंने 2007-2008 तक यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैरीलैंड बाल्टीमोर काउंटी (यूएमबीसी), यूएसए में अपना पोस्टडॉक्टरल प्रशिक्षण पूर्ण किया। वह 2011 में पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय में बतौर शिक्षक नियुक्त हुए जहां उन्होंने एंटीकैंसर उपचार के लिए विभिन्न तंत्रों यथा ईजीएचआर, पीकेएम 2 आदि, हाइपरयूरिसीमिया और गाउट के उपचार के लिए ज़ैंथिन ऑक्सीडेज इनहिबिटर, पीडीई4 तथा सीओएक्स -2 ईजीएफआर के क्षेत्रों में अपना शोध कार्य शुरू किया। अपने 20 वर्षों के शोध कैरियर के दौरान, डॉ. राज कुमार ने उच्च प्रभाव कारक पत्रिकाओं में 93 शोध पत्र और पांच पेटेंट प्रकाशित किए हैं जिन्हें 3230 उद्धरण (एच-इंडेक्स 33) प्राप्त हुए हैं। उन्होंने दो पुस्तकों का संपादन किया है, और चार पुस्तक अध्यायों प्रकाशित किए हैं। उनकी देखरेख में कुल 35 एम. फार्म. और 4 पीएचडी. छात्रों ने अपना शोध कार्य पूर्ण किए है।

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