बठिंडा, धीरज गर्ग
बाबा फरीद कालेज के बायोटैकनालोजी और मैडीकल साईंसज विभाग ने फेकल्टी आफ साईंसज के सहयोग के साथ आनलाइन प्लेटफार्म (यू.ट्यूब) के द्वारा महामारी दौरान मानसिक सेहत और तनाव विषय पर एक आनलाइन अंतरराष्ट्रीय वैबीनार का आयोजन किया। इस वैबीनार का मुख्य उद्देश्य मानसिक सेहत के महत्व बारे समझ प्रदान करना था जिस में हमारी मनोवैज्ञानिक, भावनात्मिक और सामाजिक तंदरुस्ती शामिल है। इस सैशन में जेनेवा, स्विटजरलैंड से मनोविज्ञान और मनों-चिकित्सा की माहिर डा. ड्रैगना फेवरे ने मुख्य वक्ता के तौर पर शिरकत की। सैशन की शुरुआत में बाबा फरीद कालेज के डीन (फेकल्टी आफ साईंसज) डा. जावेद अहमद खान ने मेहमान वक्ता का स्वागत किया और सभी के साथ उनकी जान-पहचान करवाई। डा. खान ने कोविड-19 महामारी और इस के बाद के प्रभावों बारे संक्षिप्त जानकारी देते विषय की जान-पहचान बारे भी बताया। डा. ड्रैगना ने इस सैशन की शुरुआत करते कोविड-19 महामारी के महत्व बारे बताया, जिस ने हमारे जीवन को ज्यूण के ढंग तरीको में बहुत सी बदलाव किये हैं। इस के साथ कई बार, अनिच्छितता, बदले हुए रोजमर्रा की के काम, वित्तीय दबाव और सामाजिक एकांतवास में हम बीमार होने बारे, महामारी कितनी देर तक रहेगी, क्या हमारी नौकरी प्रभावित होगी और भविष्य में क्या होगा आदि की चिंता करते हैं। उन्होंने बताया कि हद से अधिक जानकारी, अफवाहौं और गलत जानकारी हमारी जिंदगी को काबू से बाहर कर सकती है। अपनी पेशकारी में महामारी के बाद के प्रभावों को पेश करते उन्हों ने बताया कि महामारी के बाद हम तनाव, चिंता, डर, उदासी और इकल्लता का अनुभव कर सकते हैं। चिंता और उदासी के साथ मानसिक सेहत सम्बन्धित विकार बाद में ओर बिगड़ सकते हैं। उन्होंने ने जोर दे कर कहा कि कोविड-19 महामारी के व्यक्तिगत और सामुहिक तौर पर सेहत, भावनात्मिक और सामाजिक कामों के लिए प्रभाव बहुत चिंताजनक हैं। डाक्टरी देखभाल प्रदान करने के इलावा, सेहत देखभाल प्रदातावों की अपने मरीजों की मनों-सामाजिक जरुरतों की निगरानी करने और उनको मनों-सामाजिक सहायता प्रदान करने में एक जरूरी और अहम भूमिका होती है। उन्होंने चर्चा की कि सेहत प्रणाली का नेतृत्व करने वाले, सब से पहले प्रतिक्रिया देने वाले और सेहत संभाल पेशेवरें को मनों-सामाजिक मुद्दों बारे शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मानसिक सेहत और एमरजैंसी प्रबंधन भाईचारे को मानसिक सेहत आफत, विशेष आबादी की जरूरतों, मौत की सूचना और शोक की देखभाल के साथ सबंधित सबूत -आधारित स्रोतों की पहचान करने, विकसित करने और प्रसारित करने के लिए मिल कर काम करना चाहिए। इस के बाद फेकल्टी सदस्यों और विद्यार्थियों ने माहिर को विषय सम्बन्धित कई सवाल पूछे। डा. ड्रैगना ने सभी सवालों के जवाब दे कर उन की शंकाओं को दूर किया और विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में ओर खोज करने के लिए प्रेरित करते सभी को सावधानियॉ बरताव का सुझाव दिया। सैशन के अंत में बायउटैकनालोजी और मैडीकल साईंसज विभाग के प्रमुख डा. ऋतु पवन ने मेहमान वक्ता डा. ड्रैगना फेवरे का धन्यवाद किया। इस सैशन के लिए विद्यार्थियों का प्रतीकर्म भी बहुत सकारातमिक रहा और उन्होंने इस तरह के ओर सैशनों की मांग की। बी.ऐफ.जी.आई. के चेयरमैन डा. गुरमीत सिंह धालीवाल और कालेज के प्रिंसिपल डा. प्रदीप कौड़ा ने इस प्रयासों के लिए बायोटैकनालोजी और मैडीकल साईंसज विभाग को बधाई दी और फेकल्टी आफ साईंसज के प्रयासों की सराहना की।