जिलाभर के रजवाहों, सरकारी स्कूलों, आईटीआई, सिविल अस्पतालों, बस स्टैंड और अन्य अनेक स्थानों की स्थिती हाल से बेहाल
नीरज मंगला बरनाला।
प्रदेश के पंचायत विभाग द्वारा मगनरेगा मजदूरों से रेलवे ट्रैक की करवाई जा रही है, वह भी शहरी क्षेत्र में। जबकि राज्य भर के रजवाहों, सरकारी स्कूल कालेजों, आईटीआई, सिविल अस्पतालों डिस्पेंसरियों, बस स्टैंड, स्पोर्टस स्टेडियमों में सफाई प्रबंध रामभरोसे हैं। जो मगनरेगा मजदूरों का इन्तजार कर रहे हैं। पंचायत विभाग से संबन्धित अधिकारी ख़ुद को सरकार के हुक्मों के पाबंद बता रहे हैं।
सरकार के पास काम ही काम:-
सरकार के पास कामों की कमी नहीं। प्रदेश के अंदर जहां सफाई करने की सबसे ज्यादा जरूरत है उनमें पंचायत घर, तालाब, रजवाहे, सरकारी स्कूल व कालेज, सिविल अस्पताल व डिसपेंसरियां, बस स्टैंड, स्पोर्टस स्टेडियम, अनाज मंडियों के फड़, गांवों की सडक़ें, सरकारी इमारतें, पुलिस थाने, कचेहरियां सहित ऐसे अनेक स्थान हैं जहां घास-फूसा असंख्य खड़ा है। यह सभी वह स्थान हैं जहां हर वर्ग के लोगों, बच्चों, बुज़ुर्गों, महिलाओं का आना-जाना लगा रहता है। इन स्थानों पर सफाई करवाने के साथ-साथ मगनरेगा मजदूरों से छायादार और फलदार पौधे भी लगवाए जा सकते हैं।
सस्ती मजदूरी देखकर किए हायर:-
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की महात्मा गांधी नेशनल रुरल इंप्लायमेंट गारंटी एक्ट (मगनरेगा) योजना की गाईड लाईन के अनुसार हर मगनरेगा मजदूर को सालभर में 100 दिन काम देना होता है। जिसकी दिहाड़ी 240/- रुपए प्रति मजदूर होती है। इन मजदूरों से रुरल एरिया में काम करवाना होता है। हालांकि रेलवे के पास अपनी पक्की लेबर भी है, परन्तु रेलवे द्वारा पंजाब सरकार से मगनरेगा मजदूरों की मांग इस लिए की गई कि यह मजदूर रेलवे की अपनी लेबर मुकाबले बहुत ही किफायती है। रेलवे की तरफ से यदि पक्के मजदूरों की भरती की जाती है या टैंडर के द्वारा मजदूरों की मांग की जाती है तो उसको लेबर बहुत ही महंगी पड़ेगी। उस प्रक्रिया को पूरी करने में समय और खर्चा भी होगा। गत कुछ दिन पहले सेखा-बरनाला रेलवे ट्रैक की सफाई गांव झलूर के मगनरेगा मजदूरों से करवाई गई। जिनमें 6टी कक्षा में पढ़ती बच्ची ने भी मजदूरों बराबर काम किया।
यह कहते हैं बीडीपीओ:-
ब्लॉक डेवेल्पमेंट एवं पंचायत आफिसर बरनाला प्रवेश गोयल का कहना है कि सहायक रेलवे इंजीनियर (उत्तरी रेलवे) द्वारा मगनरेगा मजदूर उपलब्ध करवाने के संदर्भ में प्रदेश सरकार के द्वारा डिप्टी कमिश्नर बरनाला को एक पत्र प्राप्त हुआ था। जिसके अंतर्गत एडीसी बरनाला की तरफ से 29.25 लाख रुपए का एस्टीमेट बनाकर भेजा गया था। उसके बाद ही संबन्धित पंचायत को मगनरेगा मजदूर भेजने और रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ सफाई करवाने को कहा गया था। सफाई के दौरान जिस छोटी सी बच्ची मगनरेगा मजदूरों के साथ पहुंची उसके बारे में जांच की जाएगी।