श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता से लें सीख : आचार्य रमेशानंद जी महाराज

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कपिल शर्मा ,बठिडा

पंचवटी नगर बठिडा के समूह परिवार की ओर से पंचवटी नगर में चल रही श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा के सातवें दिन परम पूज्य स्वामी आचार्य रमेशानंद जी महाराज ने सुदामा कृष्ण की मित्रता की दिव्य कथा सुनाई।

उन्होंने कहा कि सुदामा चरित्र के माध्यम से भगवान भक्त वात्सल्य का दर्शन होता है। जीव चाहे कितने लुटा-पिटा, थका-हारा भी भगवान के दर पर पहुंच जाता है, तो भगवान उसे गले लगाते हैं। सुदामा को भी भगवान ने बहुत सम्मानित किया। सुदामा ने भगवान से कुछ भी नहीं मांगा व भगवान ने कुछ भी नहीं दिया। भगवान जब भी देते हैं अप्रतक्ष्य रूप से देते हैं। यहां दिखा कर कुछ भी नहीं दिया और सब कुछ दे दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आती है, प्रभु उनका तारण करने अवश्य आते हैं।

उन्होंने कहा कि आज हमें श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता से सीख लेने की आवश्यकता है। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि मित्रता में पद और प्रतिष्ठा आड़े नहीं आना चाहिए। इससे तात्पर्य है कि मित्रता में एक दूसरे का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें कोई छोटा बड़ा नहीं होता। सत्ता पाकर व्यक्ति को घमंड नहीं करना चाहिए। बल्कि उसे श्रीकृष्ण जैसा विनम्रता एवं उदारता का आचरण अपनाना चाहिए। इसके अलावा स्वामी जी ने आज भगवान के आठ विवाहों, कृष्ण पुत्र प्रद्युम्ना व अनिरुद्ध उषा विवाह कथा का विस्तार से व्यख्यान किया। अंत में पंचवटी नगर बठिडा के समूह परिवारों द्वारा मिलकर पूजा व सामूहिक महाआरती की गई। इसके ऊपरांत भक्तों को प्रशाद दिया गया।

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