डीसी दफ्तरों से लेकर तहसीलों तक कलम छोड़ हड़ताल की घोषणा करने वाले कर्मचारियों, पटवारी और कानूनगो यूनियन को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सीधी-सीधी चेतावनी दी है। उन्होंने ट्वीट कर कलम छोड़ हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को कहा है कि वह बेशक कलम छोड़ हड़ताल करें पर बाद में कलम इनके हाथ में देनी है या नहीं इसका फैसला सरकार करेगी।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि मिली जानकारी के मुताबिक पटवारी-कानूनगो रिश्वत के मामले में फंसे अपने एक साथी और डीसी दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारी अपनी निजी मांगों को लेकर आने वाले दिनों में कलम छोड़ हड़ताल करने जा रहे हैं। मैं बताना चाहता हूं कि वह कलम छोड़ हड़ताल करें लेकिन बाद में कलम आपके हाथ में देनी है या नहीं इसका फैसला सरकार करेगी।

हमारे पास बहुत ज्यादा पढ़े लिखे बेरोजगार मौजूद हैं जो आपकी कलम को पकड़ने के लिए तैयार बैठे हैं। पंजाब के लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।

बता दें कि डीसी दफ्तरों से लेकर तहसीलों दफ्तरों में काम करने वाले मिनिस्ट्रियल स्टाफ ने अपनी मांगों को लेकर 11 से लेकर 13 सितंबर तक कलम छोड़ हड़ताल की घोषणा कर रखी है। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार अपने वादों पर खरी नहीं उतरी है। उनकी मांगों पर बार-बार पैनल मीटिंग का भरोसा देकर एकदम मौके पर आकर पीछे हट जाती है।

यूनियन का कहना है कि सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण कर्मचारियों के प्रमोशन अभी तक नहीं हो पाए हैं। यूनियन बार-बार सरकार को प्रोमोशन की लाइन में लगे कर्मचारियों की लिस्टें कई बार बैठकों में दे चुकी है। हर बार आश्वासन मिलता है कि जल्द फैसला हो रहा है, लेकिन होता कुछ नहीं है।

यूनियन बोली-धमकी देने की बजाय मुख्यमंत्री कर्मचारियों की बात सुनें

डीसी दफ्तर कर्मचारी यूनियन PMSU ने मुख्यमंत्री के बयान पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि सत्ता में आम आदमी पार्टी की सरकार कर्मचारियों के दम पर ही आई थी। इन्होंने जो वादे किए थे उस पर सरकार खरी नहीं उतरी है। यूनियन के प्रधान तेजिंदर सिंह नंगल ने कहा कि मुख्यमंत्री कर्मचारियों को धमकी देने की बजाय उनके साथ बैठ कर उनकी समस्याओं को सुनें। कर्मचारियों की प्रोमोशन से लेकर पेंशन के मामले फंसे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि यूनियन ने 11 से 13 सितंबर तक कलम छोड़ हड़ताल की घोषणा की है जिस पर वह अटल हैं। सभी कर्मचारियों के परिवार मुख्यमंत्री की चेतावनी के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने कहा कि वह सरकार से कोई नाजायज मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि अपना हक मांग रहे हैं। अभी उनकी हड़ताल के बीच 10 दिन से ज्यादा का समय पड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री को चाहिए था कि वह उन्हें बैठक के लिए बुलाते।

 

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