नई दिल्ली
देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा कि विकास की दर पिछले 15 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है, बेरोजगारी दर 45 सालों के उच्चतम स्तर पर है, घरेलू मांग चार दशक के निचले स्तर पर है, बैंक पर बैड लोन का बोझ सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच चुका है, इलेक्ट्रिसिटी की मांग 15 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है, कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था की हालत बेहद गंभीर है। यह बात उन्होंने अंग्रेजी अखबर ‘द हिंदू’ में अपने एक लेख में कहा है, साथ में यह भी कहा कि यह बात मैं विपक्ष के नेता के रूप में नहीं कह रहा हूं।
मनमोहन सिंह का बयान ऐसे समय में आया है जब देश के वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन कहा कि देश की आर्थिक हालत ठीक है। जीडीपी 7.5 फीसदी की रफ्तार से विकास कर रही है जो जी-20 देशों में सबसे ज्यादा है।
मनमोहन सिंह ने अपने लेख में साफ-साफ कहा है कि देश की तमाम संस्थाओं और सरकार के प्रति लोगों का विश्वास कम हुआ है। आर्थिक सुस्ती के लिए ये प्रमुख कारणों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था वहां की सामाजिक स्थिति को दर्शाती है। अर्थव्यवस्था के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण होता है कि उस देश के लोग वहां के संस्थानों पर कितना भरोसा करते हैं। यह संबंध जितना मजबूत होगा, अर्थव्यवस्था की नींव उतनी मजबूत होगी।
मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के कई बड़े उद्योगपति खुद को डरा हुआ महसूस कर रहे हैं। वे सरकारी तंत्र से डरने लगे हैं। डर के माहौल की वजह से बैंकर लोन देने में हिचकिचा रहे हैं, उद्योगपति नए प्लांट और प्रोजेक्ट शुरू करने में डर रहे हैं, टेक्नॉलजी स्टार्टअप सर्विलांस के कारण डर रहे हैं, सरकारी एजेंसियों और संस्थानों के अधिकारी सच बोलने से डर रहे हैं। ये ऐसे लोग हैं जो अर्थव्यवस्था की गाड़ी में पहिए की तरह काम करते हैं, लेकिन हर कोई डरा हुआ है और विकास की गाड़ी धीमी पड़ गई है।
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