नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर से अनुच्धेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद नजरबंद किए गए तीन पूर्व मुख्यमंत्री सहित अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं की रिहाई की मांग की गई है। इसके लिए विपक्ष के कई नेताओं ने सामूहिक बयान जारी किया है।
बयान जारी करने वालों में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी चीफ शरद पवार, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, सीपीआई नेता डी राजा, सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी और आरजेडी सांसद मनोज झा का नाम शामिल है। सभी नेताओं ने एक स्वार में कश्मीर में नजरबंद नेताओं की रिहाई की मांग की है।
बयान में कहा गया है, ‘लोकतांत्रिक मूल्यों, मौलिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं। ऐसे में असहमति की आवाज को न सिर्फ दबाया जा रहा है, बल्कि गंभीर मुद्दों को उठाने वालों को योजनाबद्ध तरीके से चुप कराया जा रहा है।’
विपक्ष ने कहा कि पिछले सात महीनों से तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को बिना किसी पुख्ता आधार के हिरासत में रखा गया है और इन नेताओं का ऐसा कोई अतीत नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि ये लोग जम्मू कश्मीर में सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद नजरबंद किए गए नेताओं को धीरे-धीरे आजाद किया जा रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन और पीडीपी के एक नेता को छह महीने बाद छोड़ा गया। इन्हें अगस्त में नजरबंद किया गया था।नेशनल कॉन्फ्रेंस के अब्दुल माजीद लारमी, गुलाम नबी भट्ट और मो. शफी को श्रीनगर स्थित एमएलए हॉस्टल से फरवरी में रिहा किया गया।
इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नाजीर गुरेजी, पूर्व मंत्री अब्दुल हक खान, मोहम्मग अब्बास और कांग्रेस के पूर्व विधायक हाजी अब्दुल राशिद को आजाद किया गया था।
जम्मू-कश्मीर से धारा-370 समाप्त होने के बाद कई दलों के कई नेताओं को नजरबंद कर रखा गया है। श्रीनगर के मौलाना आजाद रोड स्थित एमएलए हॉस्टल में कई नेताओं को रखा गया है। उनके बाहर आना-जाने पर पाबंदी है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुला, उमर अब्दुला और महबूबा मुफ्ती को पांच अगस्त से ही नजरबंद कर रखा गया है। उमर अब्दुला और महबूबा मुफ्ती को सरकारी बंगले में रखा गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उमर अब्दुला को हाल ही में उनके घर में शिफ्ट कर दिया गया है।