नीरज मंगला बरनाला : नशा किस तरह लोगों को तबाह कर चुका है, इसकी एक झलक अगर देखनी हो, तो सिविल अस्पताल बरनाला में सरकारी दवा लेने पहुंचे नशा छोड़ने वालों की भीड़ से देखी जा सकती है। दिन में एक-दो नहीं बल्कि 200 से 250 नशे के आदि प्रतिदिन नशा न मिलने के कारण पहुंचते हैं, ताकि सरकारी दवा उनके नशे की पूर्ति को किसी हद तक पूरा कर सके और वे नशे के लिए न तरसें। जिला भर में नशा तस्करों पर पुलिस द्वारा कसे जा रहे शिकंजे की वजह से नशा करने वालों को नशा नहीं मिल पा रहा, ऐसे में ये नशेड़ी अपने नशे की पूर्ति सिविल अस्पताल की दवाओं में तलाश रहे हैं। सिविल अस्पताल की ओपीडी वार्ड व स्टोर पर नशे के आदी की लंबी-लंबी लाइनें दिन भर लगी रहती हैं। सोमवार को मानसिक रोगों के माहिर डा. लिप्सी मोदी के कमरे के बाहर भीड़ लगी हुई थी। हर किसी का चेहरा नशे के बिना पूरी तरह उतरा हुआ था। कोई शरीर में दर्द से मायूस था, तो कोई नशा न मिलने के कारण खड़े होने में भी समर्थ नहीं था। कोई जमीन पर बैठा हुआ था, तो कोई टेबल पर बैठा डाक्टर से मिलने को अपने नंबर का इंतजार कर रहा था।
अस्पताल में दवा लेने पहुंचे गुरविदर सिंह व प्रदीप सिंह बताया कि कि भुक्की व अफीम आदि न मिलने की वजह से उनकी हालत बेहद खराब हो रही है। शरीर में दर्द होता है और नींद तो गायब हो चुकी है। नशा न मिलने की वजह से वे तो चारपाई से उठ भी नहीं पा रहे हैं। अस्पताल में भी इसलिए आए हैं कि सरकारी दाम पर दवा मिल जाती है, जिससे नशे की कमी महसूस नहीं होती है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह नशे का त्याग करना चाहते हैं, तो उन्होंने कहा कि जब नशा मिलेगा ही नहीं तो त्याग हो ही जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर उनको 15 दिनों की दवा उपलब्ध करवा दी जाए तो उनको लंबी लाइनों में खड़े नहीं होना पड़ेगा, जबकि पांच दिन की दवा ही उनको दी जाती है, जिसके कारण पांच दिनों के बाद उनको फिर से दवा लेने के लिए आना पड़ता है। जिले में 11 हजार ड्रग एडिक्ट रजिस्टर्ड
मानसिक रोगों के माहिर डाक्टर लिप्सी मोदी ने कहा कि पूरे जिले में नशा छोड़ने वाले 11 हजार व्यक्ति रजिस्टर हैं। उन्होंने कहा कि वह प्रति दिन 150 मरीजों की ओपीडी करते हैं व पांच सौ के करीब प्रतिदिन नशा छोड़ने वाले व्यक्ति जीब के नीचे रखने वाली गोली लेने के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि अगर नशा छोड़ने के लिए आदमी का ²ड़ इरादा हो तो वह नशे का जरुर त्याग कर सकता है।