लुधियाना । शुक्रवार को पटवारियों ने ESMA कानून की कॉपियां जलाई। उन्होंने बायोमेट्रिक हाजिरी का भी कड़ा विरोध किया। कुछ दिन पहले CM भगवंत मान ने पंजाब में जिला कार्यालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों की तरफ से 11 सितंबर से कलम छोड़ हड़ताल करने की धमकी पर कड़ा नोटिस लिया था। सरकार ने एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट (ESMA) लगा दिया।

ये आदेश 31 अक्टूबर तक लागू रहेंगे। इसके चलते अब अगर कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो उनके खिलाफ इस कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी और उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी।

दी रेवेन्यू पटवार यूनियन के जिला सचिव मंजीत सिंह सैनी ने कहा कि यूनियन द्वारा जो हड़ताल की गई है इसमें वह सिर्फ अपने पक्के हलकों में काम कर रहे हैं, लेकिन जो अतिरिक्त चार्ज उन्हें दिया गया है उसमें काम नहीं किया जा रहा।

इसका कारण यह है कि सरकार ने उनसे वादा किया था कि 30 अगस्त को वह उनसे बैठक करेंगे, लेकिन मीटिंग 31 तारिख को नियत की गई। फिर दोबारा 31 तारिख को भी मीटिंग रद्द कर दी गई। मीटिंग करने की बजाए सरकार एस्मा कानून उन पर थोप दिया।

उन्होंने कहा कि राज्य में यदि कोई आपदा जैसे हालात बनते हैं उस समय इस कानून का इस्तेमाल किया जाता है। वह मानते हैं कि कई जिले ऐसे हैं जैसे कि मानसा, रोपड़, फिरोजपुर, गुरदासपुर जहां बाढ़ से काफी नुकसान हुआ है। इन सभी जगहों पर पटवारी प्रशासन की पूरी मदद कर रहे हैं। पटवार यूनियन यह चाहती है कि उन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित न रखा जाए।

महिला स्टाफ के लिए शौचालय तक नहीं बना
मंजीत ने कहा कि साहनेवाल तहसील में तो महिलाओं के लिए शौचालय तक नहीं बना है। महिला स्टाफ लोगों के घरों में शौच आदि करने जाती हैं। रिकॉर्ड रखने के लिए कमरा नहीं है। सरकार उन्हें सिर्फ 140 रुपए में रिकॉर्ड कमरा किराए पर लेने के लिए दे रही है। सरकारी पटवारखाना की जरूरत है, जिसमें नायब तहसीलदार से लेकर पटवारी सभी एक जगह ही लोगों को मिल सके।

क्लर्क भी हड़ताल पर जाने की तैयारी में
पटवारी के समर्थन में 11 से 13 सिंतबर तक क्लर्क भी हड़ताल पर जाने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री ने कुछ दिन पहले ही ट्विटर पर पोस्ट कर लिखा कि हमें पता चला है कि जिला कार्यालयों के कर्मचारी, जिनमें पटवारी व कर्मचारी भी शामिल हैं, रिश्वत के मामले में फंसे एक पटवारी के समर्थन में 11 से 13 सिंतबर तक हड़ताल करने जा रहे हैं। मान ने मुख्य सचिव को एक आदेश जारी करके कहा है कि बहुत से जिलों के लोग इस समय बाढ़ से जूझ रहे हैं।

ऐसी स्थिति में डीसी कार्यालय के कर्मचारियों का हड़ताल पर जाना किसी भी तरह से ठीक नहीं है। राजस्व अधिकारियों की मनमानी से लोगों को होने वाली परेशानी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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