नई दिल्ली

अयोध्या मामले में पहली सभी पुनर्विचार याचिकाओं के खारिज होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की गई है। यह क्यूरेटिव याचिका पीस पार्टी द्वारा दाखिल की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, पीस पार्टी के डॉक्टर अय्यूब ने 9 नवंबर के फैसले पर दोबारा विचार किए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि पहले आया हुआ फैसला आस्था के आधार पर लिया गया था। बता दें कि 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पीस पार्टी समेत 19 पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज किया था।

बीते साल 9 नवंबर में सुप्रीम कोर्ट में तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अयोध्या मामले पर अपना फैसला सुनाया था। पीठ ने कहा था कि इस बात पर फैसला आस्था के आधार पर नहीं होगा। कहा था कि आस्था के आधार पर जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता, फैसला कानून के आधार होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला को दे दिया था। वहीं, मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही वैकल्पिक स्थल देने के लिए कहा गया था। सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही अलग जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर को अयोध्या मामले में आए फैसले पर पुनर्विचार के लिए दाखिल याचिकाओं को 12 दिसंबर को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ ने चैंबर में इन पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार किया और इन्हें सुनवाई योग्य नहीं पाकर खारिज कर दिया।

पीठ में अन्य जज थे-जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना। पीठ ने केवल उन्हीं लोगों की पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार किया, जो अयोध्या विवाद में शुरूआत में दाखिल चार मुकदमों में मूल पक्षकार रहे हैं।

कुल 18 पुनर्विचार याचिकाएं थीं

अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार के लिए कुल 18 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इनमें से नौ याचिकाएं उन पक्षों ने दाखिल की थीं जो इससे जुड़े मामले में मूल पक्षकार रहे हैं और अन्य नौ याचिकाएं तीसरे पक्ष ने दाखिल की थीं। सुप्रीम कोर्ट ने मूल वाद में शामिल नहीं रहे तीसरे पक्षकारों की नौ याचिकाओं को सुनने से इनकार कर दिया। तीसरे पक्ष में 40 जानेमाने लोग भी शामिल थे जिन्होंने संयुक्त रूप से फैसले की समीक्षा की मांग के लिए पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

बता दें कि क्यूरेटिव पिटीशन तब दाखिल किया जाता है जब किसी मुजरिम की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है। क्यूरेटिव पिटीशन किसी भी मामले में अभियोग की अंतिम कड़ी होता है, इसमें फैसला आने के बाद किसी के लिए भी आगे के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं।

 

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