कार्रवाई के लिए सेहत मंत्री के आदेशों का इंतजार कर रहे सिविल सर्जन

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नीरज मंगला बठिडा :

बठिडा सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक से बिना जांच जारी हुए एचआइवी संक्रमित रक्त मामले में रविवार देर शाम तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। सिविल सर्जन बठिडा डा. अमरीक सिंह संधू सेहत मंत्री व विभाग के उच्चाधिकारियों के आदेशों का इंतजार करते रहे। उन्होंने कहा कि जब तक मंत्री या विभाग के उच्चाधिकारी उनके द्वारा भेजी गई जांच रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई करनी है, उसके बारे में कोई जानकारी नहीं देते, वह अपने स्तर पर कुछ नहीं कर सकते है। जैसे ही उन्हें आदेश मिलते हैं, वह उस पर वैसे ही कार्रवाई करेंगे। फिलहाल वह आदेशों का इंतजार कर रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ ठेके पर काम कर रहे लैब टेक्नीशियनों ने भी सेहत विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। उनका कहना है कि अगर विभाग ने अस्पताल के जिम्मेवार अधिकारियों को छोड़ केवल ठेके पर काम करने वाले लैब टेक्नीशियनों को पूरे मामले की जिम्मेवार मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की, तो वह जिले के सभी अस्पतालों की लैब व ब्लड़ बैंक बंद कर संघर्ष करेंगे। चूंकि सेहत विभाग अपने अधिकारियों को बचाने के लिए केवल ठेके पर काम करने वाले लैब टेक्नीशियनों की बलि दे रहा है, जोकि किसी भी कीमत में नहीं होने दिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो, वह प्रदेश स्तर पर अपना संघर्ष करेंगे।

बीती तीन अक्टूबर, 2020 से लेकर 17 नवंबर, 2020 के मध्य तीन थैलेसीमिया पीड़ित मासूम बच्चों को एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाया जा चुका है। इसमें एक मामले में सेहत विभाग ने केवल एक सीनियर लैब टेक्नीशियन बलदेव सिंह रोमाणा पर केस दर्ज करवाया है, जबकि उसी मामले में आरोपित ब्लड बैंक की इंचार्ज रही डा. करिश्मा व एलटी रिचा गोयल को केवल बर्खास्त किया गया है, जबकि उनके खिलाफ कोई भी केस दर्ज नहीं करवाया गया है। चूंकि यह दोनों ठेके पर भर्ती थी। ऐसे में सात नवंबर वाले मामले में जांच कमेटी ने ब्लड बैंक में ठेके पर काम करने वाले चार लैब टेक्नीशियन को आरोपित बनाया है,

जिनके खिलाफ बनती कार्रवाई के लिए सेहत विभाग के उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। ऐसे में इन कर्मियों पर कार्रवाई हो सकती है। गौर हो कि जांच रिपोर्ट सेहत मंत्री के पास पहुंच चुकी है। उन पर क्या एक्शन लेना है। यह फैसला मंत्री या विभाग के उच्चाधिकारियों की तरफ से लिया जाना है। ब्लड डोनेशन में भारी कमी, परेशान हो रहे मरीज अक्टूबर 2020 से लेकर अब तक करीब डेढ़ माह से समय में अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्तदान में काफी कमी आई है। इससे ब्लड बैंक रक्त की कमी से जूझ रहा है।

वर्तमान में इमरजेंसी के दौरान ही जरूरतमंद लोग रक्तदान करने आ रहे हैं जिसमें रक्तदान के बाद ही रक्त मिल पा रहा है जिसमें एनजीओ व आमजन पीछे हट गए हैं। ऐसे में मरीजों के लिए रक्त की कमी भारी मुसीबत पैदा कर सकती है। वहीं थैलासीमिया पीड़ित बच्चे जिन्हें एचआइवी रक्त चढ़ाया गया, बेहद मानसिक व शारीरिक परेशानी से गुजर रहे हैं तथा उनके अभिभावक भी चितित हैं। 7 से 13 वर्ष की आयु के प्रभावित बच्चों के परिवार स्टाफ की लापरवाही के लिए सजा के साथ मुआवजे की मांग कर रहे हैं। वहीं थैलेसीमिया वेलफेयर एसोसिएशन के महिदर सिंह व प्रवीन कुमार ने कहा कि पंजाब में लोगों की जान से खिलवाड़ करने की लापरवाही लगातार हो रही है, लेकिन राज्य सरकार और बठिडा विधायक और वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने अभी कोई एक्शन नहीं लिया है।

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