कुदरती तत्वों को बचाने के लिए पराळी की संभाल -संभाल ज़रूरी: डिप्टी कमिशनर

0
360

नीरज मंगला / अनिल कुमार बठिंडा, 18 नवंबर:

बठिंडा समेत पंजाब में किसानो की तरफ से खेतो मैं पराली को आग लगते आ रहे है पंजाब सरकार और केंदर सरकार द्वारा पराली  को आग लगाने से बचाने के लिए हर तरह के जतन किए जा रहे है किसानो को जागरूक किआ जा रहा है बठिंडा के डिप्टी कमिशनर  द्वारा किसानो को ;पराली को आग न लगाने के लिए हर प्रकार यतन किते जा रहे डिप्टी कमिशनर श्री बी. श्रीनिवासन् ने कहा कि ज़मीन अंदरूनी कुदरती तत्वों को बचाने के लिए पराळी की संभाल -संभाल बहुत ज़रूरी है। उन किसानों से अपील करते बताया कि धान की पराळी को आग लगाने साथ जहाँ कुदरती तत्वों का ख़ात्मा होता है, वहाँ वातावरण भी गंदला होता है  मुख्य कृषि अफ़सर स. बहादर सिंह ने ओर जानकारी देते बताया कि सुसत के गाँव कोटशमीर का आगे बढ़े किसान जगसीर सिंह पिछले तकरीबन चार सालों से धान की पराळी को बिना आग लगाए गेहूँ की बिजवाई कर रहा है किसान के पास कुल साढ़े 12 एकड़ ज़मीन है और 7 एकड़ छापने और लेकर कुल साढ़े 19 एकड़ क्षेत्रफल में खेती करता है। इस साल भी हिम्मतवाला किसान ने 7 एकड़ में नरमें और साढ़े 12 एकड़ क्षेत्रफल में धान की खेती की है।

इस किसान बारे ओर जानकारी देते कृषि विकास अफ़सर डा. जग्पाल सिंह बताया कि पिछले चार सालों से किसान धान की पराळी खेत में से बाहर निकाल कर गाएँ वालों को दे देता है और ले जाए करच्यों में गेहूँ की बिजवाई करता है पिछले साल किसान ने धान की पराळी की गट्ठें बनवाईं थे और ज़ीरो कोशिश ड्रिल के साथ गेहूँ की बिजवाई की थी इस के इलावा इस साल भी किसान ने 10 एकड़ क्षेत्रफल में पराळी की गट्ठें बनवाईं हैं। पराळी की गट्ठें बनवाने के बाद 5 एकड़ क्षेत्रफल में ज़ीरो -कोशिश ड्रिल के साथ और 5 एकड़ क्षेत्रफल में सुपर सिडर के साथ और बाकी ढाई एकड़ क्षेत्रफल में पराळी खेत में वाह कर सीड ड्रिल के साथ गेहूँ की बिजवाई करेगा ब्लाक कृषि अफ़सर डा. कंवल कुमार जिन्दल ने बताया कि किसान जगसीर सिंह धान की पराळी की सभ्य संभाल करके दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ है उन बताया कि आगे बढ़े किसान धान की पराळी को बिना आग लगाए नयी खेती तकनीकें और सुधरे खेती यंत्रों के साथ गेहूँ की बिजवाई कर रहा है।

लम्बी सोच वाले किसान जगसीर ने दूसरे किसानों से अपील करते कहा कि वह धान की पराळी को आग न लगाने बल्कि उसे ज़मीन में ही मिलाने जिस के साथ जहाँ ज़मीन की उपजाऊ शक्ति में विस्तार होता है वहाँ फ़सल के झाड़ में भी दुगना लाभ मिलता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here