श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व आज और कल, दोनों ही दिन मनाया जा रहा है। इस त्योहार पर श्रीकृष्ण की पूजा के साथ व्रत और उपवास का भी बहुत महत्व होता है। पुराणों में कहा गया है कि इस त्योहार पर व्रत-उपवास करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। जानिए इस श्रीकृष्ण पर्व पर व्रत-उपवास का महत्व और विधि…
सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। इसके लिए पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें और काले तिल मिलाकर नहा सकते हैं। फिर कृष्ण मंदिर जाकर भगवान को पंचामृत और शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद पीले कपड़े, फिर पीले फूल, इत्र और तुलसी पत्र चढ़ाएं। फिर मोर पंख चढाएं। आखिरी में माखन-मिश्री और मिठाइयों का नैवेद्य लगाकर प्रसाद बांटे। इस तरह की पूजा घर पर भी की जा सकती है। इस दिन घर पर बाल गोपाल को झूले में झुलाने की भी परंपरा है।
ये परंपरा सेहत के नजरिये से भी खास है, क्योंकि इस पर्व पर बारिश का मौसम होता है। इस मौसम में खाना देरी से और कम पचता है। इस कारण बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है। ये ही वजह है कि व्रत-उपवास करने से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है और सेहत में भी सुधार होता है।
पुराणों में कहा गया है इस दिन बिना अन्न खाए भगवान कृष्ण की पूजा करने से पिछले तीन जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। जन्माष्टमी पर उपवास के साथ श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। अष्टमी को जया तिथि भी कहते हैं, यानी यह जीत दिलाने वाली तिथि है। इस उपवास से सभी कामों में जीत मिलती है। उपवास इसलिए ताकि भगवान की पूजा करते समय मन, शरीर और विचार शुद्ध रहें। रोग, कष्ट और दरिद्रता खत्म होती है। कृष्ण सुख और समृद्धि देते हैं।
किसी खास वजह से अगर जन्माष्टमी व्रत नहीं कर पाएं तो किसी भी ब्राह्मण या जरुरतमंद इंसान को भरपेट भोजन करवाएं। ऐसा न कर सकें तो जरुरतमंद को इतना पैसा दें कि वो 2 समय भरपेट भोजन कर सके। इतना भी न कर पाएं तो गायत्री मंत्र का 1000 बार जाप करें।