चंडीगढ़, पंजाबी गायक गुरदास मान को पाकिस्तान के पंजाब की तरफ से अब सम्मानित नहीं किया जाएगा। वारिस शाह अंतर्राष्ट्रीय अवॉर्ड देने वाली वारिस शाह आलमी फाउंडेशन ने अपना फैसला बदल दिया है। तकरीबन 2 सप्ताह पहले ही संस्था ने पंजाबी गायक गुरदास मान को यह अवॉर्ड देकर सम्मानित करने की बात कही थी। भारत में बसा पंजाब हो या पाकिस्तान का पंजाब, दोनों ही तरफ पंजाबी गायकों को सम्मान से देखा जाता है। गुरदास मान एक ऐसे गायक हैं, जिन्होंने सरहद के उस तरफ और इस तरफ भी लोगों के दिलों में जगह बनाई। साफ सुथरे और पंजाबी सभ्यता को प्रमोट करने वाले गीतों के कारण पूरी पंजाब इंडस्ट्री उनका सम्मान करती है। इसी के चलते साफ सुथरी और मर्मस्पर्शी गायकी के लिए मशहूर गुरदास मान को पड़ोसी देश पाकिस्तान ने सम्मान देने का ऐलान किया था। इस माह के पहले सप्ताह में गुरदास मान को पाकिस्तान अवॉर्ड वारिस शाह इंटरनेशनल अवॉर्ड से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी। फाउंडेशन ने अब यह पुरस्कार बाबा ग्रुप के सूफी गायकों को देने का फैसला किया है। जिसके बाद पाकिस्तान और पाकिस्तान से संबंधित साहित्यकार, गीतकारों व सूफी गायकों ने खुशी भी जाहिर की है। जिससे स्पष्ट है कि यह फैसला संगीत नहीं, सरहदों को देखकर बदला गया है। इतना ही नहीं, कुछ दिन पहले कनाडा के सरी में जनतक इकट्ठ के दौरान इस पुरस्कार को गुरदास मान को देने का विरोध भी हुआ था। बता दें कि गुरदास मान ने ऐसे गाने गाए हैं, जो न सिर्फ युवाओं बल्कि बच्चों और बूढ़ों के भी पसंद किए जाते हैं। उनके फैंस सरहद बांट ना सकी। जितने फैन उनके भारत में हैं, उतने ही फैन पाकिस्तान में भी हैं। उनके गीत ‘लख परदेसी होइए’, ‘रोटी हक दी खाए जी’, ‘विलेज स्ट्रीट्स’, ‘बाबे भंगड़ा पाउंदे’ जैसे गाने खूबसूरत गायकी की मिसाल के साथ-साथ पंजाब के कल्चर को भी बयान करते हैं।