एक हाथ से पंछियों को खिलाते हैं दाने, तो दूसरे हाथ से उन्हें उतारते हैं मौत के घाट
मौत की डोर ने घर-घर में पैदा किया हैवान
धर्म और समाज सेवा के नाम पर वाहवाही बटोरने वाले कुछ लोग चाइनाडोर से जिंदगियां लगा रहे दांव पर
पैसे कमाने और मनोरंजन करने के लिए लोग इस हद तक नीचे गिर चुके हैं कि उन्हें खुद के कातिल होने का एहसास भी नहीं होता और वह चंद पैसों व कुछ समय के मनोरंजन के लिए पंछियों से लेकर जानवरों और इंसानों को हर रोज मौत के घाट उतार रहे हैं। कभी धर्म के नाम पर सत्संग, कीर्तन करते हैं, तो कभी समाज सेवा के नाम पर लंगर लगाते हैं पर पैसों का लालच तथा मनोरंजन की भूख ने उनको हैवान बना दिया। जैसे ही बसंत पंचमी नजदीक आने लगती है, बाजारों और गली मोहल्लों में पतंग व डोर बिकनी शुरू हो जाती है, वहीं घर घर की छत पर बच्चों से लेकर बड़ों द्वारा पतंगबाजी करके मनोरंजन का एहसास किया जाता है और इसी पैसों की लालची मनसा तथा मनोरंजन ने उनको कातिल बना कर रख दिया। पतंग व डोर बेचने वाले लगभग दुकानदारों से लेकर पतंगबाजी करने वाले लगभग इंसानों के हाथों में मौत की डोर आम देखी जा रही है। हैरानी की बात तो यह है कि पंछियों को दाना पानी डालने वाले यही लोग पतंग व डोर बेचने और मनोरंजन करने के नाम पर उन पंछियों को तड़प तड़प कर मरने के लिए मजबूर कर रहे हैं। धिक्कारती होगी उनकी आत्मा, लेकिन वह अपनी आत्मा की आवाज को पैसों और मनोरंजन के दबाव में भूल जाते हैं। कहने को तो समाज सेवक बहुत हैं, लंगर लगाए जाते हैं, गरीबों को सुविधाएं दी जाती हैं, कैंप लगाकर मरीजों का इलाज मुफ्त में करवाया जाता है, धर्म के नाम पर धार्मिक स्थानों पर चढ़ावा चढ़ाया जाता है, सत्संग, कीर्तन भी करवाए जाते हैं, खुद को बहुत बड़ा भक्त भी कहलाए जाते हैं, परंतु चंद सिक्कों की खनक तथा मनोरंजन की आड़ में यही लोग हैवान बन कर पंछियों, जानवरों और इंसानों को तड़प तड़प कर मरने के लिए मजबूर कर देते हैं। महानगर बठिंडा में मौत की डोर बेचने वाले वह लोग भी शामिल हैं, जो खुद को धार्मिक और सामाजिक इंसान कहलाना पसंद करते हैं। पतंगबाजी करने वाले लगभग इंसानों के हाथों में चाइना डोर आम देखी जा रही है और पतंग तथा डोर बेचने वाले लगभग दुकानदारों द्वारा यह मौत की डोर आम बेची जा रही है। कुछ समाज सेवक अक्सर चाइना डोर ना बेचने और ना उपयोग करने की अपील भी करते हैं, वहीं पुलिस विभाग भी अपने स्तर पर मौत की डोर पर लगाम लगाने की कोशिश लगातार कर रहा है, फिर भी चाइना डोर कम होने की बजाय इसकी तादाद बढ़ती ही जा रही है और परमात्मा का नाम लेने वाले लगभग इंसान कातिल बनते जा रहे हैं, जो चाइना डोर बेचने व मनोरंजन के नाम पर इसका उपयोग करने का कार्य करते हैं। आम जनता द्वारा भावुक अपील भी ऐसे लोगों से की जाती है कि वह चाइना डोर का उपयोग ना करें, परंतु जब मन में ही चाइना डोर के प्रति मोहब्बत हो तो उसे कौन रोक सकता है। बसंत पंचमी जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे पंछियों को तड़पते देखा जा रहा है, इंसानों के गले कटते देखे जा रहे हैं, फिर भी धर्म और समाज सेवा का राग अलापने वाले उन लोगों का दिल नहीं पसीजता, जो चाइना डोर बेचने तथा पतंगबाजी में उसका उपयोग करने का कार्य करते हैं।
67 गुट्टे चाइना डोर सहित चार गिरफ्तार
सीआईए स्टाफ द्वारा चाइना डोर पर प्रतिबंध लगाने के लिए लगातार किए जा रहे हैं प्रयास: तरजिंदर सिंह
बठिंडा। चाइना डोर पर लगाम लगाने के लिए सीआईए स्टाफ 1 वह 2 द्वारा लगातार अपने स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके तहत सीआईए वन व दो द्वारा दो अलग-अलग स्थानों से 4 व्यक्तियों को चाइना डोर सहित गिरफ्तार करते हुए उनके खिलाफ संबंधित थानों में आईपीसी की धारा 188 के अलावा 15/5 एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। सीआईए स्टाफ 2 इंचार्ज तरजिंदर सिंह ने बताया कि उनकी टीम द्वारा दीपक कुमार गर्ग पुत्र रणजीत सिंह निवासी धोबियाना बस्ती, प्रभजोत सिंह पुत्र दलीप सिंह निवासी नेशनल कालोनी तथा हरप्रीत सिंह पुत्र सुखपाल सिंह निवासी धोबियाना बस्ती को धोबियाना बस्ती के पास से 45 गुट्टे चाइना डोर सहित गिरफ्तार करते हुए उनके खिलाफ थाना सिविल लाइन में मामला दर्ज किया गया है तथा उक्त मामले की जांच हवलदार इंद्रजीत सिंह को सौंपी गई है। वहीं सीआईए स्टाफ 2 द्वारा राजन सिंगला @ रानंद पुत्र विजय कुमार निवासी हाजी रतन बठिंडा को 22 गुट्टे चाइना डोर तथा एक्टिवा समेत गुरुद्वारा हाजीरत्न के पास से गिरफ्तार किया गया है। जिसके खिलाफ थाना कोतवाली में मामला दर्ज करते हुए उक्त मामले की जांच एसआई गुरिंदर सिंह को सौंप दी गई है। पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ अगली कार्रवाई शुरू कर दी गई है।