तपस्या प्रत्येक व्यक्ति नहीं कर सकता,जिसमें त्याग व वैराग हो वही कर सकता- ब्रहमाकुमारी बहन शीला
गिद्दड़बाहा, शक्ति जिंदल
प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मांऊट आबू के गिद्दड़बाहा स्थित तिलक नगर में बने सेवा केंद्र में संस्था के संस्थापक प्रजापिता ब्रहमाबाबा जी का 53वां स्मृति दिवस बड़ी ही श्रद्वाउल्लास के साथ मनाया गया। जिसके तहत सुबह छह बजे से बारह बजे तक सभी उपस्थित श्रद्वाल्लुओं की ओर से राजयोग का अभयास किया। जिसके उपरांत सेवा केंद्र की संचालिका ब्रहमाकुमारी बहन शीला जी की ओर से ब्रहमाबाबा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ब्रहमाबाबा महान कर्मयोगी,महान तपस्वी व बेहद के वैरागी थे। उन्होने आगे कहा कि कर्मयोगी केवल वह नहीं होते जो कर्मठ हो अथवा समाज सेवा के क्षेत्र में कार्यक्रत हो। कर्मयोगी उनको कहा जाता है,जो कर्म करते भी योगयुक्त रहते है। शीला दीदी ने बताया कि जब से निराकार त्रिमूर्ति शिव ने उनके तन में प्रवेश किया था और उन्हें महाविनाश का साक्षात्कार करवाया था,तब से ही वह वैराग की भावना से परिपूर्ण हो गए थे। धन दौलत के प्रति उनको वैराग हो गया था। उन्होने कहा कि तपस्या प्रत्येक व्यक्ति नहीं कर सकता। जिसमें त्याग व वैराग हो वही कर सकता है। इस अवसर पर ब्रहमाकुमारी बहन रजनी,बहन सुखविद्र कौर,प्रकाश कौर,मैडम विजय मोंगा,किरन कुमारी,आशा नागपाल,कौशलया गोयल,बहन चंदा,बहन पुजा,हैपी बहन,कांता रानी,निर्मला रानी,भुषण कुमार,मैनेजर गुरविंद्रर सिंह,वेद प्रकाश गोयल,बलदेव कृष्ण,हरदेव सिंह,ब्रहमाकुमार महिद्र सिंह,योगेश ग्रोवर आदि मौजुद रहे।