शामलाट जमीनों पर निवास कर रहे लोगों के साथ पंजाब सरकार व नगर निगम ना करे कोई धक्का
बठिंडा, धीरज गर्ग
पंजाब सरकार के आदेशों पर नगर निगम बठिंडा द्वारा शामलाट जगह पर पिछले कई सालों से निवास कर रहे लोगों से पैसे वसूल करके उन्हें मालिकाना हक दिए जाने की बात की जा रही है तथा इसके लिए आगामी दिनों में बैठक करके फैसला लिया जाना है, परंतु यह फैसला आम जनता के खिलाफ ही होगा। उपरोक्त बातें शिरोमणी अकाली दल के डेलीगेट इकबाल सिंह बबली ढिल्लों ने कही। प्रेस बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा कि नगर निगम बठिंडा द्वारा वार्ड नंबर 12, 18, 30, 31 और 32 में पड़ते इलाके कन्हैया नगर, चंदसर बस्ती, भागू रोड, नया बस अड्डा, धोबियाना बस्ती, जुझार सिंह नगर, बीबी वाला रोड, डॉक्टर नौहरिया वाली गली, मुल्तानिया रोड, संगुआना बस्ती तथा आवा बस्ती में स्थित शामलाट जगह पर निवास कर रहे हैं लोगों को उनका मालिकाना हक देने के एवज में प्रति गज के हिसाब से पैसों की मांग की जा रही है, जो उक्त जगह पर निवास करते लोगों के साथ सरासर धक्केशाही होगी। बबली ढिल्लों ने कहा कि नगर निगम द्वारा 500 रूपए से लेकर 4000 रूपए प्रति गज के हिसाब से उक्त इलाकों के रेट फिक्स किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उक्त इलाके पत्ती शामलाट हैं और इनमें में बहुत से लोग पुश्तैनी निवास कर रहे हैं। सरकार द्वारा शामलाट जगह पर निवास करते लोगों को मुफ्त में जगह अलाट की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण पहले ही आम जनता आर्थिक मंदी का शिकार हो रही है, ऐसे में नगर निगम द्वारा उन पर फालतू बोझ डाला जा रहा है। बबली ढिल्लों ने कहा कि सरकार व नगर निगम द्वारा उक्त धक्केशाही की बजाए आम जनता को उक्त जगह मुफ्त में अलाट की जाए। उन्होंने कहा कि अगर नगर निगम द्वारा इस तरह की धक्केशाही की गई तो आगामी दिनों के लिए कांग्रेस सरकार के लिए यह घातक साबित होगी और इसका खामियाजा सरकार को चुनाव में भुगतना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उक्त शामलाट जगहों पर निवास करते कुछ एक लोगों द्वारा पहले ही प्लाटों की कीमत चुकाई गई है, ऐसे में प्रति गज के हिसाब से उनसे पैसे लेकर उन्हें उक्त प्लाट अलॉट करना समझ से परे है। इकबाल सिंह बबली ढिल्लों ने कहा कि सरकार व नगर निगम द्वारा शामलाट जगह पर निवास करते लोगों को उनका मालिकाना हक दिए जाने का फैसला सही हो सकता है, परंतु उनसे रकम वसूल करना किसी भी प्रकार से सही नहीं हो सकता। ऐसे में पंजाब सरकार व नगर निगम अधिकारियों द्वारा इस पर दोबारा सोच समझ कर फैसला लिया जाना चाहिए, ताकि आम जनता को परेशानियों का सामना ना करना पड़े।