शिवसेना में शिंदे और उद्धव गुट के बीच जारी विवाद को लेकर दाखिल दो याचिकाओं पर आज यानी 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इसमें एक याचिका शिंदे गुट को पार्टी के नाम और सिंबल का इस्तेमाल करने से जुड़ी है।

वहीं, दूसरी एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों को आयोग्य घोषित करने की मांग से जुड़ी पुर्नविचार याचिका है। इसे उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने दाखिल किया था। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच मामले पर सुनवाई करेगी।

शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी से बगावत की थी। इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद शिंदे ने शिवसेना पर अपना दावा कर दिया। 16 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया। साथ ही शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चिह्न (तीर-कमान) को इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। उद्धव गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

एकनाथ शिंदे गुट के 16 बागी विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने करीब 4 महीने पहले फैसला सुनाया था। जिसमें कोर्ट ने बागी विधायकों की सदस्यता पर फैसला स्पीकर पर छोड़ दिया था। वहीं, उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले पर फिर से विचार करने की अपील की थी।

महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे गुट और उद्धव गुट की ओर से एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिकाओं पर 14 सितंबर को सुनवाई हुई। यह सुनवाई विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विधानसभा के सेंट्रल हॉल में की।

मामले की सुनवाई सुबह 10:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक हुई। इसके बाद शिंदे गुट के वकील अनिल साखरे ने मीडिया से कहा- हमें उद्धव गुट की ओर से दस्तावेज नहीं मिले हैं।

जवाब में ठाकरे गुट के विधायक रवींद्र वायकर ने कहा कि यह शिंदे गुट की रणनीति का हिस्सा है। यह विधानसभा अध्यक्ष का काम है कि वो दोनों गुटों को मामले से जुड़े दस्तावेज मुहैया कराएं। हम चाहते हैं कि इस मामले में 34 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, सबको जोड़कर एक साथ सुना जाए।

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