मुक्तसर, धीरज गर्ग
मुक्तसर में मेला माघी के मौके पर शुक्रवार सुबह से ही संगत पहुंचने लगी। दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के चालीस सिंहों की याद में आयोजित मेले में देश-विदेश से लाखों की तादात में संगत पहुंचती है और गुरु घर में आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ साथ चालीस सिंहों की शहादत को नमन करती है। मेला माघी को लेकर सुबह से ही संगत में गजब का उत्साह दिखा। जगह जगह शहरवासियों द्वारा संगत की आवभगत में तरह तरह के लंगर लगाए गए हैं। लोहड़ी की रात से संगत ने शहर में प्रवेश शुरू कर दिया था। देश-विदेश में जग प्रसिद्ध मुक्तसर के इस माघी मेले में संगतों का हुजूम इस कदर उमड़ पड़ता है कि सड़कों पर पांव रखने को जगह तक नहीं बचती। गुरुद्वारा साहिब टिब्बी साहिब और निहंगों वाली छावनी के पास भी निहंग-सिंहों ने डेरे डालने शुरू कर दिए हैं। मेले को लेकर गुरुद्वारा शहीद गंज साहिब में चल रहे श्री अखंड पाठ का भोग आज पड़ेगा। 15 जनवरी को नगर कीर्तन निकाले जाने के साथ ही रवायती तौर पर मेला माघी बेशक संपन्न हो जाएगा, मगर करीब डेढ़ से दो माह तक मलोट रोड पर संगतों का मेला लगा ही रहता है।
मेला माघी इस बार भी निरोल धार्मिक रहेगा। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से धार्मिक मेलों में सियासी कांफ्रेंस का चलन बंद ही हो गया है, मगर इस बार तो विधानसभा चुनाव के चलते आचार संहिता भी लागू है, ऐसे में किसी दल की सियासी कांफ्रेंस न होने से सियासत का तड़का नहीं लगेगा। मेला माघी पूरी तरह शहीदों को समर्पित रहेगा। बता दें कि एक समय ऐसा भी होता था जब मेला माघी पर सभी दलों की सियासी कांफ्रेंस हुआ करती थी और नई दिल्ली से केंद्रीय नेता तक कांफ्रेंस में पहुंचकर एक-दूसरे पर सियासी छींटाकशी करते थे। मगर अब कुछ वर्षों से मेला माघी पूरी तरह से चालीस मुक्तों को समर्पित रहता है। मेले को लेकर गुरुद्वारा टिब्बी साहिब, गुरु नानक कॉलेज के सामने स्थित छावनी बहादुर बाबा बिधि चंद साहिब में निहंग-सिंहों ने डेरे जमाने शुरू कर दिए हैं। गुरुवार को घने कोहरे में भी संगतों ने मुक्तसर पहुंचना शुरू कर दिया था। वहीं टिब्बी साहिब गुरुद्वारा के पास भी विभिन्न साजो-सामान की स्टालें लगने लगी हैं। मेले दौरान निहंग सिंह घुड़दौड़ में घुड़सवारी के हैरतअंगेज करतब दिखाएंगे।