नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों को अपने धर्म को साबित करना होगा। इससे जुड़े अधिकारियों ने ये जानकारी दी है। बता दें कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक (हिंदू, सिख, जैन बुद्ध, ईसाई और पारसी) जो वहां धार्मिक भेदभाव झेल रहे हैं उन्हें संशोधित कानून (सीएए) के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी। इस कानून से मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है और ये उन लोगों पर लागू होगा जो साल 2014 के दिसंबर से पहले भारत आए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि सरकार इनसे मूल देश में इन लोगों से धार्मिक उत्पीड़न का सबूत मांगेगी, ऐसी कोई संभावना नहीं है। नियम बना दिए गए हैं लेकिन देश की नागरिकता हासिल करने के लिए लोगों को अपने धर्म को कोई प्रमाण देना होगा। इसमें कोई सरकारी दस्तावेज, बच्चों का स्कूल एनरोलमेंट, आधार इत्यादि दिखाया जा सकता है। साथ ही उन्हें सभी दस्तावेजों को दिखाने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी जिससे साबित हो कि वे 2014 दिसंबर से पहले भारत आए थे।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि नियम के तहत अपने धर्म का प्रमाण और 2014 दिसंबर से पहले भारत आने का प्रमाण देना अनिवार्य होगा। हालांकि नागरिकता के लिए बाकी किन दस्तावेजों की जरूरत होगी ये अभी साफ नहीं हो। बता दें कि सीएए को लेकर देशभर में कई जगह विरोध देखने को मिल रहा है। ऐसे में अब दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर मुंबई में भी संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ महिलाओं का विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया है। ये महिलाएं मंडनपुर की सड़क पर बैठकर मांग कर रही हैं कि जब तक केंद्र सरकार सीएए को वापस नहीं लेती है, तब तक वह प्रदर्शन से पीछे नहीं हटेंगी। 60-70 लोगों के समूह का प्रदर्शन रविवार शाम को शुरू हुआ।
प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहीं कानून की छात्रा फातिमा खान ने कहा कि सरकार को जो मन कर रहा है, वह कर रही है। सरकार ने भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार किया, जब वे कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। बता दें कि इसके साथ ही केरल, पंजाब और राजस्थान के बाद अब पश्चिम बंगाल विधानसभा में भी इसके खिलाफ सोमवार को प्रस्ताव पास किया गया।
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