नई दिल्ली
देश के करोड़ों मोबाइल यूजर्स को इस साल झटका लग सकता है। साल 2020 में मोबाइल यूजर्स का फोन बिल बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि टेलिकॉम कंपनियां टैरिफ में 25 से 30 फीसदी तक बढ़ोतरी कर सकती हैं। ऐसा इस लिए क्योंकि दूसरे देशों के मुकाबले भारत में टेलिकॉम सुविधाओं पर सब्सक्राइबर्स का कुल खर्च कम है। कंपनियों के एवरेज रेवेन्यू पर यूजर ( ARPU ) में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है।
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वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की बकाया रकम के तौर पर भुगतान करना है। 24 अक्तूबर को उच्च न्यायालय ने वोडाफोन आइडिया को एजीआर की बकाया रकम के तौर पर 53,039 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश दिया था, जिसके लिए समयसीमा 23 जनवरी 2020 तक की है। इसलिए इन टेलिकॉम कंपनियों को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए टैरिफ बढ़ाने होंगे, जिसकी वजह से यूजर्स का मोबाइल बिल बढ़ेगा। इतना ही नहीं, वोडाफोन आइडिया ने बिजनेस से बाहर होने की आशंका भी जताई है। अगर यह कंपनी बंद होती है, तो बाजार में भारती एयरटेल और रिलायंस जियो का दबदबा हो जाएगा।
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, इस संदर्भ में आईआईएफएल सिक्योरिटीज के डायरेक्टर संजीव भसीन ने कहा कि, ‘रिलायंस जियो के बाजार में आने से पहले टेलिकॉम कंपनियों का एआरपीयू 180-200 रुपये का था। मौजूदा समय में यह इससे काफी कम है। बीते तीन सालों में टेलिकॉम से जुड़ी सुविधाओं पर यूजर्स का खर्च कम हुआ है। साल 2020 में टेलिकॉम कंपनियां टैरिफ में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती हैं।’
तीन वर्षों में पहली बार साल 2019 के अंत में प्रीपेड टैरिफ बढ़ाया गया था। भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो ने इसमें 14-33 फीसदी का इजाफा किया था, जिससे इन कंपनियों का एआरपीयू मौजूदा 120 रुपये से आगामी महीनों में बढ़कर लगभग 160 रुपये पर पहुंच सकता है। अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, चीन, फिलीपींस, जापान और ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले भारत में कम्युनिकेशन पर यूजर्स का खर्च बहुत कम है।