अनिल कुमार,बठिंडा
जीवन में स्थिरता, सहजता और सरलता लाने के लिए परमात्मा से नाता जोड़े। यह विचार सद्गुरु माता सुदीक्षा महाराज ने मानवता को प्रेरित करते तीन दिवसीय 73वें वर्चुअल वार्षिक निरंकारी संत समागम के समापन दिवस पर अपने प्रवचनों में व्यक्त किए। सुदीक्षा जी ने कहा कि जीवन के हर पहलू में स्थिरता की आवश्यकता है। परमात्मा स्थिर, षाष्वत एवं एक रस है। जब हम अपना मन इस के साथ जोड़ देते हैं तो मन में भी ठहराव आ जाता है।
जिससे हमारी विवेकपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है और जीवन के हर उतार-चढ़ाव का सामना हम उचित तरीके से कर पाते हैं। समागम के पहले दिन सुदीक्षा जी ने ‘मानवता के नाम संदेश प्रेषित कर समागम का विधिवत् उद्घाटन किया। उन्होंने कोरोना काल ने इस बात का अत्याधिक अहसास कराया कि हर वस्तु कितनी भी बहुमूल्य हो उसका स्वरूप स्थायी नही रहता। ‘स्थिरता का भाव समझाते उन्होंने कहा कि संसार परिवर्तनषील है। इसमें तो उथल-पुथल होती ही रहती है। समागम के दूसरे दिन रंगा रंग सेवादल रैली से हुआ जिसमे देश विदेश के सेवादलों द्वारा प्रार्थना, शारीरिक व्यायाम, खेल-कूद तथा विभिन्न भाषाओं के माध्यम द्वारा मिषन की मूल षिक्षाओं को दर्शया गया। सेवा में समर्पित रहने वाले सभी संतों को अपना आषीर्वाद प्रदान करते सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि कोरोना के कारण जीवन में कितनी सारी परेशानियां एवं समस्याओं के आने के बावजूद जिनका भी मन स्थिर था एवं जिन्होंने सेवा भाव से अपने मन को जोड़ें रखा उनके जीवन में सहजता और स्थिरता कायम रही।
समागम के समापन दिवस पर कवि स मेलन का आयोजन किया गया। जिसमे ंविश्वभर के 21 कवियों ने ‘स्थिर से नाता जोड़ के मन का, जीवन को हम सहज बनाएंÓ। इस शीर्षक पर विभिन्न बहुभाषी कविताओं का सभी ने आंनद लिया। जिसमे ंहिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, मराठी, उर्दू एवं मुल्तानी इत्यादि भाषाओं का समावेश देखने को मिला। अपनी रचनाओं के माध्यम से मानव जीवन में स्थिरता के महत्त्वको समझाते उसके हर एक पहलू को उजागर करने का कवियों द्वारा प्रयास किया गया। तीनों दिन भारत वर्ष के अतिरिक्त दूर देशो से ब्रह्मज्ञानी वक्ताओं ने विभिन्न भाषाओं का सहारा लेते अपने प्रेरणादाई विचार प्रस्तुत किए, वहीं स पूर्ण अवतार बाणी तथा स पूर्ण हरदेव बाणी के पावन शब्द, पुरातन संतों के भजन तथा मिशन के गीतकारों की प्रेरणादाई मधुर रचनाओं ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।