डॉक्टरों की कमी के चलते सरकारी हस्पताल में बच्ची तड़फती रही, पटिआला रैफर करने पर पिता बच्ची को ले गया घर 

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नीरज मंगला बरनाला |

बरनाला का हस्पताल हमेशा अपनी ही चर्चा मैं रहता है सिविल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बुधवार की रात को को  गुरुदेश निवासी ढिल्लों नगर बरनाला का रहने वाला अपनी आठ साल की बेटी सोनाक्षी को सांस की तकलीफ के चलते सरकारी हस्पताल  के एमरजैंसी मैं लेकर आया ।अस्पताल में फार्मेसिस्ट की तरफ से बच्ची का प्राथमिक सहायता देते हुए आक्सीजन लगाया गया, परंतु बच्ची को राहत न मिलने पर  फार्मेसिस्ट की तरफ से बच्ची पटियाला रेफर कर दिया। क्योंकि यहां पर कोई डाक्टर मौजूद नहीं था। बच्ची का पिता ने बताया की बच्ची को सांस लेने की बीमारी है, परंतु उसके पास बच्ची को पटियाला ले जाने के लिए कहा जा रहा है, जबकि उसके पास इतने रुपये नहीं हैं कि वह उसे पटियाला के सरकारी हस्पताल लेकर जा सके। वह मुश्किल से 300-400 रुपए कमा कर परिवार का पालन पोषण करता है। मेरे पास इतने पैसे नहीं है की मैं एंबुलेंस का खर्च उठा सका है और न ही अस्प्ताल का। इसलिए बच्ची को लेकर घर जा रहा हूँ ।

इस सम्बन्धी एसएमओ डा. तपिदरज्योत ज्योति कौशल से बात करने पर उन्होंने कहा कि उनकी तरफ से बहुत बार सेहत विभाग को बच्चों के डाक्टर के लिए लिखा जा चुका है, लेकिन सेहत बिभाग से कोई समाधान नहीं हुआ। इस सम्बन्धी सीएमओ डा. सुखजीवन कक्कड़ ने कहा कि बच्चों के डाक्टर को लेकर इमरजेंसी मेल के जरिए सेहत विभाग के ध्यान में लाया गया है, परंतु अभी तक नियुक्ति नहीं हुई है। इमरजेंसी में 10 डाक्टरों की पोस्ट है, परन्तु अभी पांच तैनात और पांच पोस्ट खली है सेहत विभाग को बार बार लिखा जा चूका है

एसएमओ डाक्टर ज्योति कौशल ने कहा कि इमरजेंसी में 10 डाक्टरों के पद मंजूर हैं, जिसमें पांच डाक्टर एमबीबीएस हैं। इन सभी को प्राथमिक व एमरजेंसी इलाज की ट्रेनिंग दी जाती है। ऐसे में अगर कोई दमा का मरीज आता है तो पहले प्राथमिक इलाज किया जाता है। अगर कोई समस्या आती है तो एमडी की सलाह लेकर उनको बुलाया जाता है। इसी प्रकार अगर कोई बच्चों का मरीज आता है तो पहले प्राथमिक इलाज किया जाता है। अगर कोई समस्या आती है तो चाइल्ड स्पेशलिस्ट डाक्टरो की सलाह लेकर उनको बुलाया जाता है।

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