बठिंडा | ब्रेन स्ट्रोक (दिमागी दौरा) के दौरान मरीज के लिए हर सैकेंड मायने रखता है, क्योंकि मरीज स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने के कारण औसतन स्ट्रोक में हर मिनट 1.9 मिलियन न्यूरॉन्स खोता है, जो हमेशा अधरंग या मौत का बड़ा कारण बनता है, वहीं अब चिकित्सा जगत में आई तकनीकी क्रांति से ब्रेन स्ट्रोक से पीडि़त मरीजों को पूरी तरह से स्वस्थ किया जा सकता है। यह बात उत्तर भारत के जाने माने मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ डा. विवेक गुप्ता ने बठिंडा में आयोजित एक प्रैसवार्ता में कही, जिनके द्वारा मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी जैसे उन्नत न्यूरो-इंटरवेंशनल उपचार से ब्रेन स्ट्रोक से लक्वाग्रस्त हुए मरीजों को पूरी तरह से स्वस्थ किया है।
ब्र्रेन स्ट्रोक के उपचार में आई तकनीकी क्रांति संबंधी जागरूक करते हुए फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजी के एडिशनल डायरेक्टर डॉ प्रोफेसर विवेक गुप्ता ने कहा कि मौसम बदलते ही मस्तिष्क रोगियों की रक्त की आपूर्ति कम या बाधित होने के कारण ब्रेन स्ट्रोक (दिमागी दौरा) पडऩे का अधिक खतरा रहता है। उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक से ग्रस्त मरीजों को विकलांगता से पूरी तरह छुटकारा दिलाया जा सकता है, बशर्तें मरीज को तुरंत ऐसे अस्पताल पहुंचाया जाए, जहां अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट, इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, आपातकालीन चिकित्सकों, एनेस्थेटिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट की विशेषज्ञ टीम के साथ-साथ एडवांस स्ट्रोक देखभाल की सुविधाएं उपलब्ध हों।
डा. प्रोफेसर विवेक गुप्ता ने बताया कि हाल ही में ब्रेन स्ट्रोक के 12 घंटे बाद बेहोशी की हालत में 42 वर्षीय मरीज उनके पास पहुंचा। उनके शरीर के दाहिने हिस्से को लकवा हो गया था। चिकित्सा उपचार में यदि थोड़ी देर हो जाती तो वह मरीज को घातक स्थिति में पहुंचा सकती थी। मरीज के गर्दन व दिमाग के दाहिनी ओर अवरूद्ध हुई रक्त आपूर्ति को मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी की मदद से आर्टरी से क्लाट को हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि दिमागी दौरा या लकवा मारने पर बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव आने से गंभीर से गंभीर मरीज स्वस्थ हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि फोर्टिस मोहाली 24 घंटे निरंतर स्ट्रोक के लिए तैयार अस्पताल के रूप में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को उपचार प्रदान कर रहा है। मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी एक मिनिमल इनवेसिव प्रोसीजर है जिसमें क्लॉट को हटाने के लिए मस्तिष्क धमनी में कैथेटर डाला जाता है। यह रक्त प्रवाह को बहाल करने में मदद करता है और ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों में उपचार की अवधि 24 घंटे तक बढ़ाकर रोगी को दिव्यांगता या मृत्यु से बचाता है।