शहर में मरीजों संख्या कम, लेबोरेटरी और एक्स-रे की दुकानें ज्यादा

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सायं होने से पहले ही सिविल हस्पताल में स्थापित सरकारी एक्स-रे सैंटर और लेबोरेटरी कर दी जाती है बंद।

नीरज मंगला बरनाला। शहर के अंदर धड़ाधड़ टैस्ट लेबोरेट्रियों और एक्स-रे की दुकानें खुल रही हैं। किस सैंटर के नतीजे ठीक हैं, किसके नहीं के बारे में मरीज व उनके परिजन दुविधा में हैं। जिसका उन्हें विभिन्न लेबोरेटरियों से टैस्ट करवाने के तौर पर हर्जाना भी भुगतना पड़ रहा है। कारण है सिविल अस्पताल में स्थापित लैबोरेटरी का 24 घंटे नंह खुलना और सेहत विभाग की तरफ से शहर में स्थापित निजी एक्स-रे सैंटर और लेबोरेटरियों की जांच-पड़ताल नहीं करना।

ज्यादातर के पास नहीं हैं मंज़ूरी पत्र:-
गौरतलब हो कि प्रदेश सरकार के सेहत विभाग की ओर से करीब 2 साल पहले मोहाली में चल रही एक अवैध लैबोरेट्री बंद की जा चुकी है। उसके बावजूद प्रदेश के अंदर टैस्ट लेबोरेट्रियों के धड़ाधड़ खुलने का प्रचलन हैं। बताने योग्य है कि पिछले समय के दौरान डेंगू बीमारी ने पूरे माल्वा क्षेत्र को अपनी चपेट में लिया और अब कोरोना महामारी। जिसका सबसे ज्यादा फायदा ख़ून टैस्ट करने वाली टैस्ट लेबोरेट्रियों को हुआ है। नतीजन शहर की तकरीबन हर तीसरी-चौथी गली में टैस्ट लेबोरेट्रियां खुल गई। वर्णनीय है कि खोली गई और खुल रही ज्यादातर लेबोरेट्रियों के मालिकों के पास विभागीय मंज़ूरी पत्र ही नहीं हैं। किस टैस्ट की कितनी फीस वसूली जाएगी की सूचि ज्यादातर सैंटरों पर नहीं है।

स्कैन किए हस्ताक्षरों के साथ दी जा रही रिर्पोटें:-
शहर के अंदर खुले कुछ लेबोरेट्रियों और एक्स-रे केन्द्रों के मालिक तो बैठे किसी दूसरी जगह पर हैं, मरीजों को रिर्पोटें रेडियोलोजिस्ट/डाक्टरों के स्कैन किए हस्ताक्षर युक्त दी जा रही हैं। जिसका खुलासा गत 15 अक्तूबर के दिन बरनाला के सिविल अस्पताल के पास स्थित एक एक्सरे सैंटर द्वारा जारी की रिपोर्ट से हुआ। वहां एक्स-रे करवाकर बाहर निकली फाजिल्का निवासी महिला मरीज ने बताया कि उस सैंटर पर मौजूद तीन लड़कियों द्वारा उसका एक्स-रे किया गया। एक्सरे की रिपोर्ट केबिन के अंदर बैठे एक वर्कर ने मोबाइल फोन पर वहाट्सएप के जरिए भेज दी। जिस पर सैंटर का नाम ही नहीं था। जब उससे रिपोर्ट की हार्ड कापी मांगी गई तो उसने रिपोर्ट अगले दिन थमाई। जिसपर रेडियोलोजिस्ट/डाक्टर के हस्ताक्षर जो थे वह पूरी तरह से स्कैन किये हुए थे। बाद में पता लगा कि वह डाक्टर/रेडोलोजिस्ट तो प्रेक्टिस भी किसी दूसरी जगह पर करता है।

सिविल अस्पताल में नहीं है 24 घंटे टैस्ट की सुविधा:-
अडंगा यह भी है कि जिला के मुख्य सिविल अस्पताल के अंदर लैबोरटरी और एक्सरे केंद्र सुबह के समय 9 बजे खुलते है और दोपहर के बाद 3 बजे बंद कर दिए जाते हैं। चौबीस घंटे आपातकाल स्थिती होने के कारण लोगों को ज्यादातर टैस्टों के लिए बाहर जाना पड़ता है। सीटी स्कैन और अलट्रा साउंड के लिए तो सिविल अस्पताल के पास माहिर ही नहीं हैं।

यह कहती है लेबोरेट्री एसोसिएशन:-
प्राईवेट मैडीकल लैबोरेट्री ऐसोसिएशन एंड अलाईड हेल्थ सर्विसिस (जय मिलाप) संस्था के प्रदेशाध्यक्ष जगदीप भारद्वाज का कहना है कि अंधाधुन्ध खुल रही लैबोरेट्रियों के बारे में एसोसिएशन भी चिंतित है। इस बारे में सरकार के साथ 15-20 मीटिंगें हो चुकी हैं। संस्था की सरकार से मांग है कि लैब काऊंसिल का गठन किया जाए, लैबोरेट्रियों की रजिस्ट्रेशन की जाएं। लैबोरेट्रीयां खोलने से पहले विभाग से मंज़ूरी लेनी लाजिमी हो। सरकार के पास हरेक लैबोरेट्री का पूरा रिकार्ड मौजूद हो।


सिविल सर्जन बरनाला डा. सुखजीवन कक्कड़ का कहना है कि एक्स-रे केंद्र चला रहे माहिरों के पास रेडीयोग्राफर का डिप्लोमा होना, लैबोरेटरी चालक के पास डीऐमऐलटी का डिप्लोमा, सीटी स्कैन केन्द्रों के चालकों के पास सीटी स्कैन डिप्लोमा होना जरूरी है। सेंटरों के मालिकों की मौजुदगी में ही मरीजों के टैस्ट होने जरूरी हैं। अगर किसी का टैस्ट सैंटर के मालिक या माहिर की गैरहाजिरी में होता है और उसकी शिकायत विभाग के पास पहुँचती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जायेगी।

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