नई दिल्ली

अगर कोई मधुमेह, बालों का समय से पहले झड़ना, यौन नपुंसकता और शीघ्रपतन समेत 78 प्रकार की बीमारियों का टीवी, अखबार या किसी वेबसाइट के माध्यम से इलाज का झूठा दावा करने या चमत्कार के जरिये मर्ज को दूर भगाने का दावा करना मुश्किल हो जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम,1954 में संशोधन करने जा रहा है। इस संशोधन के जरिये कानून का दायरा प्रिंट मीडिया से बढ़ाकर इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया तक बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा एलोपैथिक के अलावा होम्योपैथ,आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध दवाओं को भी कानून के दायरे में लाया जा रहा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय बदलते समय और प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल रखने के लिए ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 में संशोधन करने का प्रस्ताव कर रहा है। इस संबंध में एक मसौदा विधेयक तैयार किया गया है और उसे हितधारकों से सुझाव एवं आपत्तियों के लिए सार्वजनिक किया जा रहा है। संशोधित नियमों में विज्ञापन को परिभाषित करते हुए इसमें उन लेबल और पैकेट को भी शामिल कर लिया गया है, जिसमें नियमों के अलावा कोई अन्य जानकारी प्रकाशित की गई है। इसके अलावा नए नियमों में एलोपैथिक दवाओं के साथ होम्योपैथ, आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध दवाओं को भी शामिल किया जाएगा। इसमें दंड और अधिनियम के दायरे में आने वाली बीमारियों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।

संशोधित विधेयक के प्रावधानों में पहली बार दोषी पाए जाने पर दो साल तक की कैद के साथ 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद फिर अपराध करते पकड़े जाने पर पांच साल तक की कैद और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

ये बीमारियां दायरे में:
ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) (संशोधन) विधेयक 2020 में एड्स,अंधापन, ब्रोन्कियल अस्थमा, मोतियाबिंद, बहरापन, मधुमेह, मिर्गी, ग्लूकोमा, बालों का समय से पहले झड़ना, गठिया, हृदय रोग, यौन नपुंसकता, शीघ्रपतन और शुक्राणुशोथ समेत 78 प्रकार की बीमारियों को शामिल किया गया है।

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