स्कूलों में ड्रॉपआउट की संख्या बढ़ी तो DEO पर गिरेगी गाज

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चंडीगढ़। पंजाब में सरकारी स्कूलों के शिक्षा स्तर को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा विभाग लगातार काम कर रहा है। पिछले सप्ताह विभाग ने निर्देश जारी किए कि यदि सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स के ड्रॉपआउट की संख्या बढ़ती है तो इसके लिए उस जिले के DEO जिम्मेवार होंगे।

सभी स्कूलों को विभाग द्वारा अलग-अलग लिंक भेजा गया है। जिसमें वह गैरहाजिर रहने वाले छात्रों की संख्या व उनका विवरण अपलोड करेंगे। इसका एक कारण यह भी है कि कुछ छात्र सरकारी स्कूल छोड़ अन्य स्कूलों में दाखिला ले लेते हैं, लेकिन वह सरकारी रिकॉर्ड में नाम नहीं कटवाते। इस कारण विभाग को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

विभाग ने सख्त निर्देश जारी कर कहा है कि रोजाना स्टूडेंट्स की हाजिरी ई-पंजाब पोर्टल पर अपलोड होनी चाहिए। विभाग को पारदर्शी तरीके से पता होना चाहिए कि किस गांव या शहर में कितने छात्र रोजाना स्कूल में पढ़ाई करने आ रहे हैं। इसके साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी को इसका नोडल अधिकारी लगाया है। अब प्री-प्राइमरी से बारहवीं कक्षा तक के छात्रों की संख्या पोर्टल पर दर्ज होगी।

जिस भी स्कूल में छात्रों की रूटीन में संख्या कम नजर आएगी उसकी जांच करवा DEO की विभाग जवाब तलबी करेगा। छात्र कितने समय से ड्रॉपआउट चल रहा है और किन कारणों ड्रॉपआउट है इसका भी कारण बताना होगा।

डायरेक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन ने दिया सुप्रीम कोर्ट का हवाला
डायरेक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन विनय बुबलानी ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया है। इसमें कहा गया है कि छात्रों को स्कूल छोड़ने और लंबे समय तक गैरहाजिर रहने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्तर पर कार्रवाई की थी और संबंधित विभागों से जवाब मांगा था। इसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक हलफनामा दायर कर इस प्रक्रियाओं को अपनाने का अनुरोध किया।

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