पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा ने नई शैक्षणिक साझेदारी को बढ़ावा देने हेतु वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

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बठिंडा, धीरज गर्ग 

कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के कुशल नेतृत्व और डीएसटी-एफआईएसटी वित्त पोषित सीयूपीबी वनस्पति विज्ञान विभाग की पहल के साथ पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) ने मरुस्थलीकरण के संकट से निपटने के लिए नई शैक्षणिक साझेदारी को बढ़ावा हेतु वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), सम विश्वविद्यालय, देहरादून के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य वानिकी अनुसंधान के विभिन्न विषयों में नवीन अनुसन्धान और प्रशिक्षण की प्रगति को गति प्रदान करना है। श्री अरुण कुमार रावत, आईएफएस (1986 बैच), आईसीएफआरई महानिदेशक, इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। आभासी पटल पर आयोजित इस कार्यक्रम में पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री कंवल पाल सिंह मुंदरा और आईसीएफआरई महानिदेशक श्री अरुण कुमार रावत, (आईएफएस, 1986 बैच) ने सीयूपीबी के कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी की गरिमामयी उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रोफेसर फेलिक्स बास्ट, विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग, सीयूपीबी, ने हार्बेरीयम, हाई-एंड इंस्ट्रूमेंटेशन सरीखी अपने विभाग की सुविधाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने साझा किया कि इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से दोनों संस्थान पर्यावरण संरक्षण के लिए सहयोगी अनुसंधान करने हेतु एक दूसरे की अनुसंधान सुविधाओं और विशेषज्ञता का उपयोग कर सकेंगे।

वहीँ आईसीएफआरई महानिदेशक, श्री अरुण कुमार ने बताया कि भारतीय वन अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) के अधीन संचालित वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून वानिकी, पर्यावरण प्रबंधन, लकड़ी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और सेलूलोज़ तथा कागज प्रौद्योगिकी विषयों पर अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थान है। उन्होंने एफआरआई, देहरादून की विभिन्न शोध उपलब्धियों को साझा किया और उल्लेख किया कि अपने 17 अनुसंधान केंद्रों के साथ, एफआरआई, देहरादून ने 69 पौधों की अनुवांशिक रूप से संशोधित रोग प्रतिरोधी प्रजातियों को विकसित किया है, जिसमें पंजाब का राज्य वृक्ष शीशम भी शामिल है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह समझौता ज्ञापन दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों और शोधार्थियों को संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं पर सहयोग करने और जैव विविधता संरक्षण के लिए नए युग के समाधान विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में, कुलपति प्रो आर.पी. तिवारी ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य मरुस्थलीकरण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अभिनव समाधान विकसित करना है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अपने 500 एकड़ के परिसर में वृक्षारोपण और प्रायोगिक अनुसंधान के लिए बड़े स्थान निर्धारित किए हैं, जो दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे। उन्होंने दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों को मोरिंगा (सोहंजना) जैसे स्वदेशी पौधों की रोग प्रतिरोधी प्रजातियों को विकसित करने और समाज के लिए उनके अतिरिक्त उपयोग की खोज हेतु मिलकर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर प्रो. अंजना मुंशी (डीन रिसर्च), प्रो. मोनिशा धीमान (निदेशक, आईक्यूएसी), प्रो. राज कुमार (डीन, स्कूल ऑफ हेल्थ साइंसेज), और सीयूपीबी वनस्पति विज्ञान विभाग के संकाय सदस्य प्रो. संजीव कुमार, डॉ. पंकज भारद्वाज, डॉ. विनय कुमार, डॉ निर्मल रेणुका और डॉ प्रशांत स्वप्निल उपस्थित थे। एफआरआई, देहरादून से डॉ. तारा चंद (समूह समन्वयक अनुसंधान), डॉ अजय ठाकुर (प्रमुख, आनुवंशिकी और वृक्ष सुधार विभाग), उनकी टीम के सदस्यों के साथ समारोह में सम्मिलित हुए

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