लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर भुलाया शास्त्री जी को 

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द अपील न्यूज ब्यूरो
2 अक्टूबर 2019 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 116वीं जयंती है। सादगी भरी जीवन जीने वाले शास्त्री जी एक कुशल नेतृत्व वाले गांधीवादी नेता थे। कल देश गांधी जयंती के साथ भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहा होगा। सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले शास्त्री जी एक शांत चित्त व्यक्तित्व भी थे। शास्त्री जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को मुंशी लाल बहादुर शास्त्री के रूप में हुआ था। वह अपने घर में सबसे छोटे थे तो उन्हें प्यार से नन्हें बुलाया जाता था। उत्तर प्रदेश में शारदा प्रसाद श्रीवास्तव’के यहां हुआ था. उनके पिता पेशे से शिक्षक थे. लाल बहादुर शास्‍त्री घर में सबसे छोट थे इसलिए उनको बहुत प्यार मिलता था. उन्हें ‘नन्हें’ कहकर बुलाया जाता था. छोटी उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया. इसके बाद उनकी मां बच्चों के साथ मिर्जापुर अपने पिता के घर आ गई. ननिहाल में रहते हुए लालबहादुर शास्‍त्री ने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की. उसके बाद की शिक्षा हरिश्चन्द्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ में हुई. काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलते ही प्रबुद्ध बालक ने जन्म से चला आ रहा जातिसूचक शब्द श्रीवास्तव हमेशा के लिये हटा दिया और अपने नाम के आगे शास्त्री लगा लिया. इसके पश्चात् ‘शास्त्री’ शब्द ‘लालबहादुर’ के नाम का पर्याय ही बन गया.
उन्होंने जवाहरलाल नेहरू की सरकार में विभिन्न विभागों का संचालन किया और कई महत्वपूर्ण परिवर्तनों के ध्वजवाहक रहे. परिवहन मंत्री के रूप में, उन्होंने सार्वजनिक परिवहन में महिला ड्राइवरों और कंडक्टरों को शामिल करने का स्वागत किया. वह भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज के बजाय जेट वाटर के इस्तेमाल की शुरुआत करने वाले थे. उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया, लेकिन रहस्य अभी भी उनकी मृत्यु पर ही है. 2004 में उनकी जन्मशताब्दी पर, RBI ने 100 रुपये का सिक्का जारी किया, जिस पर उनका चित्र है.

लाल बहादुर शास्‍त्री की मौत पर आजतक सवाल उठता है. उनकी मौत अब भी रहस्य बनी हुई है. दरअसल भारत और पाकिस्तान के बीच ताशकंद समझौते के बाद उनकी रहस्यमय परिस्थियों में मौत हो गई थी. सोवियत संघ के ताशकंद में 10 जनवरी, 1966 में भारत और पाकिस्‍तान ने एक समझौते पर दस्‍तखत किए. उस रात ताशकंद गए भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया.
उनकी मौत पर उनके कई परिजनों ने सवाल उठाए. उनके बेटे अनिल शास्त्री के मुताबिक़ लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद उनका पूरा चेहरा नीला हो गया था, उनके मुंह पर सफ़ेद धब्बे पाए गए थे. उन्‍होंने कहा था कि शास्‍त्री के पास हमेशा एक डायरी रहती थी, लेकिन वह डायरी नहीं मिली. इसके अलावा उनके पास हरदम एक थर्मस रहता था, वह भी गायब हो गया था. इसके अलावा लालबहादुर शास्त्री के शव का पोस्टमार्टम नहीं किया गया था. इसलिए यह कहा जाता है कि उनकी मौत संदेहजनक स्थितियों में हुई.
दरअसल हाल में ही उनकी मौत को लेकर एक आरटीआई कार्यकर्ता ने आरटीआई डालकर सवाल पूछा था. इसमें कई खुलासे हुए. RTI के जवाब में बताया गया कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री मरने से 30 मिनट पहले तक बिलकुल ठीक थे. 15 से 20 मिनट में तबियत खराब हुई और उनकी मौत हो गई. इसमें कहा गया है कि शास्त्री की मौत के बाद उनके डेड बॉडी का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था. आरटीआई से मिले जवाब के मुताबिक, शास्त्री 10 जनवरी 1966 की रात 12.30 बजे तक बिलकुल ठीक थे. इसके बाद अचानक उनकी तबियत खराब हुई, जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने डॉक्टर को बुलाया. डॉक्टर आरएन चग ने पाया कि शास्त्री की सांसें तेज चल रही थीं और वो अपने बेड पर छाती को पकड़कर बैठे थे. इसके बाद डॉक्टर ने इंट्रा मस्कूलर इंजेक्शन दिया. इंजेक्शन देने के तीन मिनट के बाद शास्त्री का शरीर शांत होने लगा. सांस की रफ्तार धीमी पड़ गई. इसके बाद सोवियत डॉक्टर को बुलाया गया. इससे पहले कि सोवियत डॉक्टर इलाज शुरू करते रात 1.32 बजे शास्त्री की मौत हो गई.

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